नमस्कार, कागज पर आडि तिरछी लकीर के समान कुछ पांच छह महीने में जो थोड़े बहोत मुक्तक लिख पाया हूं उन्हें आपके सम्मुख प्रस्तुत कर रहा हूं
पढने लायक किताब हो जाओ तो बताना मुझे
कोई नया ख़िताब हो जाओ तो बताना मुझे
क्या कहा तुम मेरी मोहब्बत हो ठीक है
जब मुझसे बेहिसाब हो जाओ तो बताना मुझे
अब अथाह गहराई तक उतरना पड़ेगा तुम्हें
ओंठ से दिल तक का रास्ता बहोत लम्बा है बहोत दुर तक चलना पड़ेगा तुम्हें
इस कमरे के हर कोने को रोशनी की जरुरत है
जुगनूओं अब चिराग बनकर जलना पड़ेगा तुम्हें
इस रात की सहर होगी तो नजर आएगा ये साया कौन है
ये तो वक्त ही बताएग तुम्हारा अपना कौन है पराया कौन है
रुको जरा गौर से सुनने दो ये आहट मुझे
कुछ मालुम तो चले मेरे दिल में आया कौन है
डर दिखाकर प्यार खरीदने आया है
मजहब के नाम पर एतबार खरीदने आया है
ये सोचकर अपने सपने मत बेच देना
बिरादरी का है पहली बार खरीदने आया है
करना ही चाहो अगर इतनी बुरी चीज भी नही है
रसीद नही मिलती इसकी पक्की चीज नही है
दिल विल टूटने का खतरा बना रहता है और क्या
ये मोहब्बत ओहब्बत कोई अच्छी चीज नही है
मेरे ये मुक्तक अगर अपको पसंद आई है तो आप मेरे ब्लॉग को फॉलो करें और अब आप अपनी राय बीना अपना जीमेल या जीप्लप अकाउंट उपयोग किए भी बेनामी के रूप में कमेंट्र कर सकते हैं | आप मेरे ब्लॉग को ईमेल के द्वारा भी फॉलो कर सकते हैं |
इन मुक्तक को लिखते वक्त अगर शब्दो में या टाइपिंग में मुझसे कोई गलती हो गई हो तो उसके लिए मै बेहद माफी चाहूंगा | मै जल्दी ही एक नई रचना आपके सम्मुख प्रस्तुत करूंगा | तब तक अपना ख्याल रखें अपनों का ख्याल रखें , नमस्कार |
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