शनिवार, 11 मई 2019

ग़ज़ल, इससे भी कम बहोत कम लोग भी जानते हैं मुझे

     नमस्कार , करिबदन हफ्ते भर पहले मै ने एक नयी गजल लिखी है आज वक्त मिला तो ख्याल किया कि आपके साथ साझा कर लिया जाए

इससे भी कम बहोत कम लोग भी जानते हैं मुझे
और कुछ वो बेरहम लोग भी जानते हैं मुझे

मेरे करीबी दोस्तों की ये भी एक शख़्सियत हैं
यानी के कुछ बेशरम लोग भी जानते हैं मुझे

मुझसे जो नफरत करना तो पहले दो तीन बार सोच लेना
बहोत मोहतरम लोग भी जानते हैं मुझे

जब भी कही मेरा जिक्र होता है वो मुस्कुरा देते हैं
यानी कुछ खुशफहम लोग भी जानते हैं मुझे

अरे वो दो तीन गजले मेरी भी तो मशहूर हैं
यानी की कुछ सुखनफहम लोग भी जानते हैं मुझे

शायरी शरहद की बंदिशो में बंधी नही रह सकती
बहोत किसम किसम के लोग भी जानते हैं मुझे

कहीं तुम ये मत समझ लेना के तनहा डिंगे हांक रहा है
हां ये सच है तुम्हारे सनम लोग भी जानते हैं मुझे

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      इन गजल को लिखते वक्त अगर शब्दो में या टाइपिंग में मुझसे कोई गलती हो गई हो तो उसके लिए मै बेहद माफी चाहूंगा | मै जल्दी ही एक नई रचना आपके सम्मुख प्रस्तुत करूंगा | तब तक अपना ख्याल रखें अपनों का ख्याल रखें , नमस्कार |

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