नमस्कार, तीन चार महीनो के अंतराल में जो कुछ थोडे बहोत शेर कह पाया हूं वो आपके दयार में रख रहा हूं समात करें
वहां चोरों का परिवार नाम बदलकर रहता है
बदन पर कपड़े सलामत चाहते हो तो उस गली जाना मत
ये एक दीया जला है जो तुम्हारे हक की रोशनी तुम्हें देता है
यदि उजाले में रहना चाहते हो तो ये दीया बुझाना मत
जलती हुई धूप को ठंडा कर दिया इसने
इसी बीन मौसम की बरसात ने चंद लम्हे सुकून के मयस्सर कराए हैं हमे
तुम्हें जरा देर से समझ आएगी
ये मेरे दिल की बात है यार
शायरी सब को समझ में नहीं आती
बहोत सही बात है यार
तनहा तुम आज खुलकर कह दो
जो वो नही समझ रहे हैं वही बात है यार
मिलने को फुल बड़ी मुश्किल से मिलते हैं
पत्थर का क्या है कही भी हो सकता है
कमी तो तनहा चलने वालों में होगी वरना
रास्ता तो कही भी हो सकता है
तुम्हारे दिल पर ऐसे ही किसी ऐरे गैरे कि हुकूमत नही होनी चहीए
तुम नेहा हो तुम्हें झूठी तारीफ़ों की जरुरत नही होनी चाहिए
इस रात की सहर होगी तो नजर आएगा ये साया कौन है
ये तो वक्त ही बताएग तुम्हारा अपना कौन है पराया कौन है
डर दिखाकर प्यार खरीदने आया है
मजहब के नाम पर एतबार खरीदने आया है
ये सोचकर अपने सपने मत बेच देना
बिरादरी का है पहली बार खरीदने आया है
करना ही चाहो अगर इतनी बुरी चीज भी नही है
रसीद नही मिलती इसकी पक्की चीज नही है
दिल विल टूटने का खतरा बना रहता है और क्या
ये मोहब्बत ओहब्बत कोई अच्छी चीज नही है
तुम्हें तिजारत करने का सलीका नही आता
दुनियां को डराने का सही तरिका नही आता
बस यही खता होती है मुझसे बार बार
मुझे घुमा फिरा कर बात करना नही आता
यहां कोई खुटे से बंधा नही हैं
मै कोई हाथी नही हूं और तू भी कोई गधा नही है
पत्थर भी अगर प्लास्टिक होगा तो पानी पर तैर जाएगा
यहां सच किसी से छीपा नही है
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इस शेरो शायरी को लिखते वक्त अगर शब्दो में या टाइपिंग में मुझसे कोई गलती हो गई हो तो उसके लिए मै बेहद माफी चाहूंगा | मै जल्दी ही एक नई रचना आपके सम्मुख प्रस्तुत करूंगा | तब तक अपना ख्याल रखें अपनों का ख्याल रखें , नमस्कार |
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