शनिवार, 21 अक्तूबर 2017

क्या बेटी होना ही गुनाह है मेरा ?

      बेटियां ही मां होती हैं , बेटियां ही बहने होती है , बेटियां ही पत्नी बनती , संसार का ऐसा कोई भी रिश्ता नहीं है जो बेटियों के बिना पुरा हो सके | लेकिन सच्चाई यह है कि आज भी हमारे देश में कंया भ्रुण हत्या होती है , आज भी हमारे देश में बेटियों के प्रति हीन भावना है | लोग आज भी बेटियों को बेटों से कामतर आंकते हैं , यह बहुत ही दुखद है लेकिन सच्चाई यही है | जबकि बेटियां आज दुनिया में हर क्षेत्र में अपना लोहा मनवा चुकी हैं , चाहे वह अंतरिक्ष विज्ञान हो , तकनीकी हो, उद्योग हो | यही नहीं हमारे देश की बेटीया आज बेटो के साथ कंधे से कंधा मिलाकर देश की सुरक्षा में तैनात हैं |

बेटी

        हमारी सरकार के लाखों प्रयासों के बावजुत भी कंया भ्रुण हत्या जैसे जघन्य अपराघ पर पुरी तरह से काबू नही पाया जा चुका है | आज भी हमारे समाज ने बेटियों को वो अधिकार वो समानताएं नही दी हैं जो बेटो को प्राप्त है | मैने अक्सर यह महसूस किया है कि जब किसी घर में बेटा पैदा होता है तो लोग खुशियां मनाते हैं , बधाइयां देते हैं लेकिन जब बेटी पैदा होती है तो लोग मायूस हो जाते हैं | आखिर ऐसा क्यों है ? और कब खत्म होगी यह बेटियों के प्रति हीन भावना ?..| इन्हीं ख्यालो , इन्हीं सवालों के वशीभूत होकर मैंने एक कविता की रचना की है |मुझे उम्मीद है कि मेरी यह कविता मेरी भावनाओ को रेखांकित करेगी | कविता का शीर्षक है 
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क्या बेटी होना ही गुनाह है मेरा ?

मैं कोख में ही मरती हूं
मैं दहेज की आग में जलती हूं
परिवार के लिए एक बोझ हूं
बरसों से खामोश हूं
कौन सुनेगा कहना मेरा
क्या बेटी होना ही गुनाह है मेरा ?

मैं प्यार का स्वरूप हूं
मैं मातृत्व का प्रतीक हूं
फिर भी मेरा अस्तित्व क्यों खतरे में है
फिर क्यों मैं भयभीत हूं ?
फिर क्यों तय हो जाता है कोख में ही मरना मेरा ?
क्या बेटी होना ही गुनाह है मेरा ?

बेटी

एक बात मुझे हमेशा तड़पाती है
मेरे पैदा होते ही उदासी क्यों छा जाती है ?
क्या मैं बोझ हूं ? , पर क्यों ?
क्या मैं लाचार हूं ? , पर क्यों ?
हक है मिले जीवन को जीना मेरा
क्या बेटी होना ही गुनाह है मेरा ?

जब मैं पत्नी होती हूं , तो परिवार की सेवक होती हुं
जब मैं मां होती हूं , तो परिवार की पालक होती हुं
मैंने हर रिश्ते को पुरी वफादारी और जीजान से सींचा है
फिर क्यों बेटों से रुतबा मेरा नीचा है
क्या गलत है यह कहना मेरा
क्या बेटी होना ही गुनाह है मेरा ?

      यह कविता आपको कैसाी लगाी मुझे अपने कमेंट्स के जरिए जरूर बताइएगा | मेरे विचार को व्यक्त करते वक्त अगर शब्दों में मुझसे कोई त्रुटि हो गई हो तो मै इसके लिए छमा प्रार्थी हूं | मेरी एक नई भावना को व्यक्त करने मैं जल्द ही आपसे बातें करने वापस आऊंगा , तब तक अपना ख्याल रखें , अपनों का ख्याल रखें , बड़ों को सम्मान दें , छोटो से प्यार करें , नमस्कार |

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