नमस्कार, ये गाना मैने तकरीबन एक साल पहले लिखा था अभी तक इसे आपके सामने ये सोचकर नही रख रहा था के मुझे लगता है कि मेरा ये गाना थोडा सा अस्सी - नब्बे के दशक में आने वाले गानों के जैसा है तो मुझे लगता था के यहां तो सुनना भी नही है पढना है और इस तरह के गाने को एक ब्लॉग पर कौन पढ़ेगा | लेकिन कल जब मैने मेरे एक दोस्त को कवि प्रदीप का लिखा एक गाना कही से पढ़ते देखा तो मुझे भी लगा कि मुझे भी मेरा गाना आपके सामने रखना चाहिए सो आज यहा लिख दिया
मैं सातों वचन मोहब्बत मांगती हूं
न ऐसो आराम न रुतबा तुम्हारा
न धन न दौलत न गहने मांगती हूं
हर जन्म तुम रहना साथ मेरे पिया
मैं सातों वचन मोहब्बत मांगती हूं
सीताराम सी जोडी हो अपनी
खुशीयां रहें ज्यादा हमेशा
कमाई भले हो थोड़ी अपनी
मै भला कहा कोई ताजमहल चाहती हूं
हर जन्म तुम रहना साथ मेरे पिया
मैं सातों वचन मोहब्बत मांगती हूं
तुमको प्राणों से प्यारी रहूं
सातों जन्म तुम मेरे रहो
सातों जन्म मै तुम्हारी रहूं
तुमको ही बस मै वर चाहती हूं
हर जन्म तुम रहना साथ मेरे पिया
मैं सातों वचन मोहब्बत मांगती हूं
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इस गाने को लिखते वक्त अगर शब्दो में या टाइपिंग में मुझसे कोई गलती हो गई हो तो उसके लिए मै बेहद माफी चाहूंगा | मै जल्दी ही एक नई रचना आपके सम्मुख प्रस्तुत करूंगा | तब तक अपना ख्याल रखें अपनों का ख्याल रखें , नमस्कार |
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