मंगलवार, 23 अप्रैल 2019

शेरो शायरी, कुछ रुह की सुना दूं 4

    नमस्कार, तीन चार महीनो के अंतराल में जो कुछ थोडे बहोत शेर कह पाया हूं वो आपके दयार में रख रहा हूं समात करें

तेरी मोहब्बत का असर देखुंगा
एक बार जहर पीकर देखुंगा

तो फिर जंगे मैदान में आते क्यों हो
अमन की बात करते हो तो फिदायीन हमले करवाते क्यों हो

तुम तो कहते हो के भारतीय वायुसेना ने कुछ दरख़्त मार गिराए हैं बस
तो फिर टूटे दरख्तों का इंतकाम लेने भारतीय सीमा में आते क्यों हो

सुना है के तुम हमसे याराना करना चाहते हो
तो मिया आतंकवादी को आतंकवादी कहने में घबराते क्यों हो

खुद अपनी शख्सियत मिटाने में डर लगता है
फिर से दिल लगाने में डर लगता है

बड़ी जतन से एक बार जला पाया हूं
अब ये चिराग बुझाने में डर लगता है

शेर से आंख मिलाने की औकात नही रखते
झुंड में तो कुत्ते भी हाथी को देखकर भोंकते हैं

बड़े बड़े मका मिलते हैं मगर वजूद नही मिलते यार
इस शहर में सब कुछ मिलता है मगर ताजे अमरुद नही मिलते यार

कितना मुनासिब होता अगर ये तयशुदा शफर नही होता
और तो सब कुछ है मगर यहां मां के हाथ का खाना मयस्सर नही होता

वो जो इस इमारत कि दसवीं मंजिल पर एक मदारी रहता है
इससे ज्यादा खुश मेरे गाव की गली का भिखारी रहता है

मेरे खिलाफ उठी हर एक आवाज की हिसाब दूं क्या
अब मै कुत्तो के भोंकने का भी जबाब दूं क्या

तेरे पहलु में बैठकर दो धडी रो भी नही पाया मै
कुछ खत लिखे थे तुझे देने को दे भी नही पाया मै

चल ना ज़िन्दगी आज कुछ ज्यादा मुनाफा कमाते हैं
बड़े दिन होगए गाव घूमकर आते हैं

यहां हर एक का इमान आजमाकर बैठा हूं
इसलिए बाजार में अपनी कीमत लगाकर बैठा हूं

बो चाहता था के मोहब्बत के बहाने से मेरा सब कुछ लूट ले जाए
इसलिए मै खुद ही सब कुछ गवाकर बैठा हूं

इसकी बिसात हजारों दुआओं से ज्यादा है
कलाई पर बंधी राखी को सिर्फ धागा मत समझलेना तुम

किन अल्फ़ाज़ों से नवाजू में ऐसे रईसजादों को
कमीना लफ्ज भी इनसे बेहतर होता है

यार ये मोहब्बत करना ठीक नही है
मरने के लिए कोई और रास्ता तलाशुंगा मैं

अपने सारे गम हिफाजत से रखता हूँ मैं
अभी कुछ दिन और मुस्कुराना है मुझे

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