नमस्कार , मैने एक भोजपुरी लोकगीत लिखी है जिसे मैं आपके सम्मुख प्रस्तुत कर रहा हूं मुझे उम्मीद है कि ये लोकगीत आपको पसंद आयेगी
नोकरी के फेरा में शहर घुमतानी
पानी के बीना हमार जरता जवानी
हमरा लागे मोहब्बत के सगरो बतीया
हमसे झूठ कहतानी
तनी धीर त ध र
सबर के फल बहुत मिठ लागी रानी
अठारह के बाटे काचे उमरीया
पोर पोर उठे बदन में लहरिया
बुझी न हमरा दिल के परशानी
जाई न आजु दिल्ली शहरीया
चाहत की अगिया में हम जर तानी
तनी धीर त ध र
सबर के फल बहुत मिठ लागी रानी
चार महिना वियाहे के भईल
तिन महिना से बाड बहरा गईल
सहले सहाई अब इ जुदाई
मिली न जवानी जे एक बेरी गईल
केतना दिने ले पी हम फिरीज के पानी
तनी धीर त ध र
सबर के फल बहुत मिठ लागी रानी
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इस भोजपुरी लोकगीत लिखते वक्त अगर शब्दो में या टाइपिंग में मुझसे कोई गलती हो गई हो तो उसके लिए मै बेहद माफी चाहूंगा | मै जल्दी ही एक नई रचना आपके सम्मुख प्रस्तुत करूंगा | तब तक अपना ख्याल रखें अपनों का ख्याल रखें , नमस्कार |
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