नमस्कार , एक बेरोजगार नव युवक जब अपनी बेरोजगारी कि समस्या से तंग आकर परेशान रहता है तो कुछ ख्याल उसके मन में यू भी आते हैं जिस तरह से मेरी कविता है
क्या रोज रोज वही सवाल करता है
क्या रोज रोज वही सवाल करता है
चल ना यार
छोड़ ना यार
मालिक बस कुछ ही लोग हैं यहां
बाकी सब किसी न किसी के नौकर हैं
तुम्हें रोज इस बात का अफसोस होता है के
तुम अभी तक किसी के नौकर नही बन पाए
कोई बात नही
तंग अपने इतने भी हालात नही
एक न एक दिन
किसी न किसी के नौकर बन ही जाएंगे
अ जो किसी के नौकर नही बन पाए
तो खुद के मालिक बन जाएंगे
अब और सोचना छोड़ ना यार
चल ना यार
मेरी यह कविता अगर अपको पसंद आई है तो आप मेरे ब्लॉग को फॉलो करें और अब आप अपनी राय बीना अपना जीमेल या जीप्लप अकाउंट उपयोग किए भी बेनामी के रूप में कमेंट्र कर सकते हैं | आप मेरे ब्लॉग को ईमेल के द्वारा भी फॉलो कर सकते हैं |
इस कविता को लिखते वक्त अगर शब्दो में या टाइपिंग में मुझसे कोई गलती हो गई हो तो उसके लिए मै बेहद माफी चाहूंगा | मै जल्दी ही एक नई रचना आपके सम्मुख प्रस्तुत करूंगा | तब तक अपना ख्याल रखें अपनों का ख्याल रखें , नमस्कार |
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें