शनिवार, 29 अगस्त 2020

मुक्तक , ये हमारी इंसाफ की लडा़ई को कमजोर करने पर आमादा है

           नमस्कार , पिछले कुछ वर्षो से हम देख रहें है कि कुछ टी वी चैनल आतंकवादीयों अलगाववादीयों और अपराधियों को पत्रकारिता के नाम पर अपना मंच प्रदान करते आए हैं और न शिर्फ मंच प्रदान करते हैं बल्कि बाकायदा उनका महिमामंडन भी करते है राष्ट की जन भावना के साथ खिलवाड़ करते आए हैं तथा अपराधियों के अपराथ को सामान्यीकृत करने का प्रयास करते आए हैं और इसका हालिया उदाहरण सुसांत सिंह राजपुत के केस में देखने को मिला जब एक तथाकथीत बडे़ चैनल ने इस केस कि मुख्य आरोपी को बैठाकर हास्यास्पद सवाल पुछे और मुख्य आरोपी को पुरा समय दिया जिससे वह पिडी़त पर ही संगीन आरोप लगा सके और उसका चरित्र हनन कर सके और न सिर्फ पिडी़त बल्की उसके पुरे परीवार पर आरोप लगा सके और उनका भी चरित्र हनन कर सके | यह बहुत दुर्भाग्यपुर्ण बात है |

      इसलिए अब समय आ गया है कि इन टी बी चैनलों का पुर्णतय बहिस्कार करके इन्हे सत्य से और राष्ट की जन भावना से अवगत कराया जाए | इसी ख्याल पर मैने एक मुक्तक लिखा है 

हर सबूत को हर सत्य को तोड़ मरोड़ करने पर आमादा हैं 

वो पत्रकारिता के नाम पर कातिलों से गठजोड़ करने पर आमादा हैं

आतंकियों और कातिलों को मासूम बनाकर tv चैनलों पर दिखाने वाले

ये हमारी इंसाफ की लडा़ई को कमजोर करने पर आमादा हैं

     जिस तरह से घने अंधेरे को रोशनी की एक किरण हरा देती है उस तरह से टीवी पत्रकारिता में भी कुछ चैनल ऐसे है जो रोशनी की वही किरण हैं और अगले मुक्तक में मैने एक चैनल का नाम भी लिखा है यदि आप समझ जाएं तो कमेंट में लिखिएगा

बिना आग लगे कहीं से यू ही धूआं निकलता नही है

झुठ के तेल के बिना सच का चिराग जलता नही है

तुम सच कह रहे हो 'भारत' तुम पर भारत यकीन करता है

किसी के काला कहने से सुरज का सच बदलता नही है

     मेरे ये मुक्तक अगर अपको पसंद आए है तो आप मेरे ब्लॉग को फॉलो करें और अब आप अपनी राय बीना अपना जीमेल या जीप्लप अकाउंट उपयोग किए भी बेनामी के रूप में कमेंट्र कर सकते हैं | आप मेरे ब्लॉग को ईमेल के द्वारा भी फॉलो कर सकते हैं |

      इन मुक्तकों लिखते वक्त अगर शब्दो में या टाइपिंग में मुझसे कोई गलती हो गई हो तो उसके लिए मै बेहद माफी चाहूंगा | मै जल्दी ही एक नई रचना आपके सम्मुख प्रस्तुत करूंगा | तब तक अपना ख्याल रखें अपनों का ख्याल रखें , नमस्कार |


6 टिप्‍पणियां:

  1. नमस्ते,
    आपकी इस प्रविष्टि के लिंक की चर्चा सोमवार (31अगस्त 2020) को 'राब्ता का ज़ाबता कहाँ हुआ निहाँ' (चर्चा अंक 3809) पर भी होगी।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्त्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाए।
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    --
    -रवीन्द्र सिंह यादव


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    1. मेरी रचना को स्थान देने के लिए आपका बहुत आभार

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  2. ये सच है कुछ तथाकथित चैनल अपनी TRP के चक्कर में कुछ भी दिखाने से परहेज नहीं करते है जो चिंताजनक स्थिति है, खेदजनक है

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    उत्तर
    1. यही वजह है कि मैने इस पर कुछ लिखने कि जरुरत समझी और मुझे उम्मीद है कि हम साहित्यकार इन जैसे विषयों पर लगातार लिखते रहेंगे

      आपने अपना बहुमुल्य विचार हमसे साझा किया आपका बहुत आभार

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  3. बहुत सुन्दर सटीक समसामयिक मुक्तक लिखें हैं आपने
    टीवी चैनलों के बारे में तो कहना ही क्या

    जवाब देंहटाएं

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