रविवार, 24 फ़रवरी 2019

कविता, चार पन्नों के इतर भी ज़िन्दगी है

      नमस्कार , हर वक्त हर पल ज़िन्दगी गुजरती जाती है और हम अक्सर इसे किसी किताब में किसी जीवनी में तलाशते रह जाते हैं ये हर इंसान के साथ हो रहा है बस इसी पर चंद लाइनें देख लीजिए

चार पन्नों के इतर भी ज़िन्दगी है

एक पन्ने में परिचय लिखा है
दूसरे में भूमिका है
तीसरे पन्ने ने किरदार बताया है
आखरी पन्ना आते तक
सारांश बन कर रह गयी
ये ज़िन्दगी
पल पल गुजर रही है
मगर किसी को इसकी फिक्र नही

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      इस कविता को लिखते वक्त अगर शब्दो में या टाइपिंग में मुझसे कोई गलती हो गई हो तो उसके लिए मै बेहद माफी चाहूंगा | मै जल्दी ही एक नई रचना आपके सम्मुख प्रस्तुत करूंगा | तब तक अपना ख्याल रखें अपनों का ख्याल रखें , नमस्कार |

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