नमस्कार , एक और पीठ पर कायराना हमला , एक और कभी न भरनेवाला जख्म , जी हा मै बात कर रहा हूं पुलवामा में 14 फरवरी को करीब साढे तीन बजे हुए पाकिस्तानी आतंकवादी हमले की जिसने हमारे देश की CRPF के 40 वीर जवान शहीद हो गए और बहुत बड़ी घायलों की संख्या अभी भी जिंदगी एवं मौत की जंग लड रही हैं | मेरी भगवान से यही प्रार्थना है कि इन घायलों को जल्द से जल्द स्वस्थ करदें | जब से मैने इस हमले के बारे में सुना हैं तब से मै विचलित हूं , रह रह कर वो टीवी पर देखे हुए मंजर आंखों के सामने आ रहे हैं जहां जवानों की तिरंगे मे लिपटी हुई लाशें हैं उनके परिवार के रोते बिलखते चेहरे हैं | ऐसी हर बार की अपूरणीय क्षति के बाद होता तो ये है कि हमारे देश की सियासत कुछ राहत पैकेज का ऐलान करती है मतलब ये है कि शहादत की किमत अदा करती है | मगर मै ये पुछना चाहता हूं के क्या चंद रुपये की राहत एक मां को उसका बेटा दे सकती है , एक बाप को उसके बुढापे का सहारा घर का चिराग वापस कर सकती है , एक बच्चे को उसका बाप लौटा सकती है , एक बहन को उसका भाई दे सकती है , उस पत्नी के दुःखों को कम कर सकती है जिसे आज अपने हाथों से अपनी चूडी तोडनी पर रही है अपना मंगलसूत्र उतारना पड़ रहा है | इस हमले की खबर के बाद से ही श्रद्धांजलि देने का सिलसिला सोशल मीडिया एवं देश में चल रहा है मगर मुझे ये लगता है कि जिस दिन हमारा बदला पुरा हो गया उस दिन हमारे वीर अमर शहीदों को हमारी सच्ची श्रद्धांजलि होगी |
हमारे वीर शहीद जवानें को अधुरी श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए मैने एक गजल लिखी है जिसे मैं आज आपके साथ साझा कर रहा हूं | मै चाहता हूँ की आपका साथ मुझे मिले |
तल्ख है मगर ये बात ही सही है
गीदड़रों की जात ही यही है
बारहा पीठ में ही मारता है खंजर
उसकी औकात ही यही है
एक एक मौत के सौदागर को मौत का तोहफा देकर पहुंचाओ जहन्नुम
आतंकवाद की बीमारी का इलाज ही यही है
कुत्ते को कुत्ता न कहें सूअर को सूअर न कहे तो और क्या कहें
कहना पड़ेगा हालात ही यही है
हिंद के एक एक दुश्मन को चुन चुन कर कुत्ते की मौत मारती है
तनहा हिंद की फौज का मिजाज ही यही है
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इस गजल को लिखते वक्त अगर शब्दो में या टाइपिंग में मुझसे कोई गलती हो गई हो तो उसके लिए मै बेहद माफी चाहूंगा | मै जल्दी ही एक नई रचना आपके सम्मुख प्रस्तुत करूंगा | तब तक अपना ख्याल रखें अपनों का ख्याल रखें , नमस्कार |
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