नमस्कार , कुछ शेर कुछ मिसरें यू देखें के
आपकी आदत का ये हिस्सा भी बेहिसाब है
जमाने भर की बुराई खुद करके कहते हैं ,जमाना खराब है
प्यार करना , मगर जबरन हक मत जताना
उनका प्यार फूल है , फूलों को जरा आहिस्ता सहलाना
वह अगर तुमसे रूठ जाए , यह हक है उनका
तो तुम उन्हें मनाना , तुम भी उनसे मत रुठ जाना
बड़ा अलग सा सुकून मिलता है ऐसा करने में
तुम भी कभी बेवजह मुस्कुराया करो
जवानी में भी बच्चा मां के लिए सिर्फ बच्चा होता है
उसे उसके बढ़ती उमर नजर नहीं आतीअक्सर पड़ी रहती है किसी कोने में सामान की तरह
जवानी में बच्चों को मा , मा नजर नहीं आती
चंद सांसे ना मिली तो इस जहां से रुकसती हो जाती है
रत्ती भर जिंदगी है बस
हां ये सच है मैं टूटा जरूर हूं
मगर मुझे कांच सा बिखरना नहीं आता #
वो और लोग होंगे जो अपने रुख से पलट जाते हैं
सच बात कह कर मुझे मुंकरना नहीं आता #
वो हर छोटी मोटी बात का हिसाब करते हैं
मुझे यह समझ में नहीं आता वो प्यार करते हैं कि मजाक करते हैं
नाजुक गुलाब की पंखुड़ियों को नोचकर इधर-उधर फेका जाता है
नाराजगी कभी-कभार यूं भी जताई जाती है #
सिक्के के दो पहलू एक तरफ नहीं हो सकते
सौदागर से मोहब्बत नहीं होती या मोहब्बत में सौदायगी नहीं होती
कद बढ़ा , हाथ पहुंचे तो ठीक वरना ना सही
मैं रेत के टीलों पर चढ़कर आसमान नहीं छूना चाहता
वो अक्सर पूछते रहते हैं यह तुम्हें कैसे मालूम जब मैंने बताया ही नहीं
उन्हें यह नहीं मालूम कि मुझे आंखों से चेहरे पढ़ने की आदत है
अगर कहीं पर्दा है तो रहना जरूरी है
इंसान को इंसान बना रहना जरूरी है
चाकू-छुरी तलवार खंजर इनकी जरूरत क्या है
बस एक लफ्ज़ कलेजा चीर सकता है
कागज के चंद टुकड़ों में आकर मोहब्बत को नीलाम कर देता
मैं भी तुम्हारी तरह होता तो तुम्हें बदनाम कर देता
जहां भी रहूं जिस हालात में भी रहूं मैं आदतन सच कहता हूं
यह एक ऐब और भी मुझ में है
कालीख को उसने राख से उजला कर दिया
एक सितारे की चमक ने इंसानी लाशों को धुंधला कर दिया
सच कहना गुनाह है तो गुनहगार हूं.
अगर कानून ये है तो सजा का हकदार हूं
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