शनिवार, 8 दिसंबर 2018

हास्य कविता, जंगल का रास्ता

   नमस्कार , जंगल का रास्ता एक थोड़े से डरावने माहौल को जन्म देती हुई नजर आती है |मेरी ये तकरीबन दो बरस पहले लिखी हास्य व्यंग कविता आपको कितना डराती है या हसाती तो मुझे जरूर बताइएगा |

जंगल का रास्ता

सुनसान अंधेरे में
काली अमावस की रात
पत्तों का सरसाराना
चमगादड़ों का फड़फड़ाना
उल्लू की आवाज
निशाचरों की खटपट
चारों ओर सन्नाटा
मच्छरों का गुनगुनाना
बिल्ली की म्याऊं म्याऊं
हवा के झोंकों से पेड़ों का लहराना
घबराते , सकपकाते
एक एक कदम बढ़ाता
फिर यह सोच कर डर जाता
जाने किधर से क्या आ जाए
एक आहट होते ही
होश हो गए फाकता
जंगल का रास्ता
एकदम ऐसा ही है
जिंदगी का रास्ता

    मेरी हास्य व्यंग कविता के रूप में एक और छोटी सी यह कोशिस आपको कैसी लगी है मुझे अपने कमेंट के जरिए जरुर बताइएगा | अगर अपनी रचना को प्रदर्शित करने में मुझसे शब्दों में कोई त्रुटि हो गई हो तो तहे दिल से माफी चाहूंगा | एक नई रचना के साथ मैं जल्द ही आपसे रूबरू होऊंगा | तब तक के लिए अपना ख्याल रखें , अपने चाहने वालों का ख्याल रखें | मेरी इस रचना को पढ़ने के लिए आपका बहुत-बहुत शुक्रिया | नमस्कार |

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