शनिवार, 30 नवंबर 2019

कविता, चौथ का चांद है

      कविता , एक अलग तरह कि कविता पढ के देंखे यह कविता शायरी कि तरह है मैने भी जब इसे लिखा था तो मै यही सोच रहा थाकि यह कविता है की नज्म पर जहा तक मुझे पता है यह कविता हि है

सौहर ने बेगम को देखकर ये कहा
वाह क्या बात है चौथ का चांद है

माशुक ने माशुका को देखकर ये कहा
पहली मुलाकात है चौथ का चांद है

शायर ने शायरा को देखकर ये कहा
हूस्न लाजबाब है चौथ का चांद है

जीजा ने साली को देखकर ये कहा
नयी नयी गुलाब है चौथ का चांद है

मयकदे में शराबी ने मय को देखकर ये कहा
भरी हुई गिलास है चौथ का चांद है

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      इस कविता को लिखते वक्त अगर शब्दो में या टाइपिंग में मुझसे कोई गलती हो गई हो तो उसके लिए मै बेहद माफी चाहूंगा | मै जल्दी ही एक नई रचना आपके सम्मुख प्रस्तुत करूंगा | तब तक अपना ख्याल रखें अपनों का ख्याल रखें , नमस्कार |

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