शनिवार, 30 नवंबर 2019

ग़ज़ल, क्या बात कर रहा है यार

      नमस्कार , ये नयी गजल बिना किसी तमहिद भुमिका के आपके रुबरु रखना चाहुंगा

उसे मेरा इंतजार है क्या बात कर रहा है
उब भी मुझसे प्यार है क्या बात कर रहा है

जो शख्स जुवान तो जुवान अॉख तक से झुठ बोलता है
तुझे उसकी बात का ऐतबार है क्या बात कर रहा है

आवारा तितलीयों को आदत होती है फूल बदलते रहने की
मेरा तो है उसका भी पहली बार है क्या बात कर रहा है

ये तो दिल टुटने का बस दिखावा है फेसबुक पर
असल में नए आशिकों को इस्तेहार है क्या बात कर रहा है

माना तनहा थोडा बहोत नासमझ है मगर इतना भी नही
उसने कहा है मेरा उसके दिल पर इक्तेयार है क्या बात कर रहा है

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      इस गजल को लिखते वक्त अगर शब्दो में या टाइपिंग में मुझसे कोई गलती हो गई हो तो उसके लिए मै बेहद माफी चाहूंगा | मै जल्दी ही एक नई रचना आपके सम्मुख प्रस्तुत करूंगा | तब तक अपना ख्याल रखें अपनों का ख्याल रखें , नमस्कार |

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