बुधवार, 20 नवंबर 2019

मुक्तक, चार चार लाइनों में बातें करुंगा आपसे 14

     नमस्कार , पिछले बीते महीने भर में मैने कुछ मुक्तक लिखें हैं जिन्हे मै आप के दयार में हाजीर  कर रहा हूं मुझे यकिन है आपको ये मुक्तक यकिनन पसंद आएंगे

अमृत पीने की तमन्ना कौन नही करता
मौत से ज्यादा जीने की तमन्ना कोन नही करता
मेरा उसका वस्ल बहोत मुस्कील है मगर
चांद को छुने की तमन्ना कौन नही करता

इश्वर अल्लाह भगवान गीता बाइबल कुरान मुझमें हैं
सारे हिन्दुस्तान में हुं मै और सारा हिन्दुस्तान मुझमें है
एक तरफ हैं फूलों के खेत खलिहान और पर्वत पहाडियां है
एक तरफ समंदर और सारा रेगिस्तान मुझमें है

जाने क्या इश्क के खेल में क्या अच्छा या बुरा है
आओ जाने तुम्हे मोहब्बत के बारे में कितना पता है
कैसी चलन है वो तुम्हे उसके बारे में क्या पता है
तम्हे उसके बारे में मुझसे ज्यादा पता है

खुशीयां मेरे हिस्से में कम और बहोत ज्यादा गम आते हैं
दिल तो बहोत रोता है मगर आंख में आशु जरा कम आते हैं
मेरी तरफ उंग्ली करके सारे रहनुमाओं ने ये कहा
पहले तुम आगे चलो फिर पिछे पिछे हम आते हैं

वही है हयात की कहानी मगर किरदार बदलते रहते हैं
दुनिया एक किराए का घर है और किराएदार बदलते रहते हैं
कभी मोहब्बत कभी गम कभी खुशी कभी तन्हाई
दिल बीमार भी वही है बस आजार बदलते रहते हैं

मन की सारी सेटिंग डिस्टर्ब हो गयी
जीवन के प्रोग्राम की इंटरप्ट हो गयी
वायरस कि तरह घुस गई हो दिल की हार्डडिस्क मे
मोहब्बत की सारी फाइले करप्ट हो गयी

जहर नहीं बेचता चटपटा चूरमा बेचता हूं मैं
बच्चों के लिए मीठी गोली और खुरमा बेचता हूं मैं
उस मोहल्ले की सारी लड़कियां मेरा इंतजार करती है
नाक की नथनी कान की बाली आंखों के लिए सूरमा बेचता हूं मैं

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      इन मुक्तकों को लिखते वक्त अगर शब्दो में या टाइपिंग में मुझसे कोई गलती हो गई हो तो उसके लिए मै बेहद माफी चाहूंगा | मै जल्दी ही एक नई रचना आपके सम्मुख प्रस्तुत करूंगा | तब तक अपना ख्याल रखें अपनों का ख्याल रखें , नमस्कार |

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