नमस्कार , मेरा एक छोटा सा नया गाना आपकी खिदमत में हाजिर है मुझे आशा है कि आपको प्रसंद आएगा
तु रब कि महरबानी है
जैसे कोई परिंदा चहके
जैसे कोई गुलाब महके
बरषा बरसे जैसे सावन मे
मेंहदी हो जैसे आंगन में
सपनों जैसी अब जिंदगानी है
तु मेरी प्रेम कहानी है
तु रब कि महरबानी है
तेरा मेरा मिलना दुआ है
दिल में कुछ तो हुआ है
धडकन कि सदा इबादत है
हुंई जो सच्ची मोहब्बत है
ये रब कि कैसी मनमानी है
तु मेरी प्रेम कहानी है
तु रब कि महरबानी है
मेरीे ये कविता अगर अपको पसंद आई है तो आप मेरे ब्लॉग को फॉलो करें और अब आप अपनी राय बीना अपना जीमेल या जीप्लप अकाउंट उपयोग किए भी बेनामी के रूप में कमेंट्र कर सकते हैं | आप मेरे ब्लॉग को ईमेल के द्वारा भी फॉलो कर सकते हैं |
इस कविता को लिखते वक्त अगर शब्दो में या टाइपिंग में मुझसे कोई गलती हो गई हो तो उसके लिए मै बेहद माफी चाहूंगा | मै जल्दी ही एक नई रचना आपके सम्मुख प्रस्तुत करूंगा | तब तक अपना ख्याल रखें अपनों का ख्याल रखें , नमस्कार |
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें