शनिवार, 30 नवंबर 2019

ग़ज़ल, वो भी मुझसे मोहब्बत करती थी ना

      नमस्कार , ये नयी गजल बिना किसी तमहिद भुमिका के आपके रुबरु रखना चाहुंगा

अपने अॉशुओ से मेरे जख्मों कि हिफाजत करती थी ना
वो भी मुझसे मोहब्बत करती थी ना

कभी रोजा रखती थी कभी मन्नते मांगती थी
वो कितनी रवायत करती थी ना

कम से कम घर में सन्नाटा तो नही पसरा रहता था
वो तो कितनी शिकायत करती थी ना

ख्यालात मुक्तलिफ नही होते थे हमारे
फिर भी वो मेरी खिलाफत करती थी ना

हयात कि वो खुशीयॉ उसके साथ ही चली गई तनहा
वो तो फरमाइसें करके मेरी आफत करती थी ना

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      इस गजल को लिखते वक्त अगर शब्दो में या टाइपिंग में मुझसे कोई गलती हो गई हो तो उसके लिए मै बेहद माफी चाहूंगा | मै जल्दी ही एक नई रचना आपके सम्मुख प्रस्तुत करूंगा | तब तक अपना ख्याल रखें अपनों का ख्याल रखें , नमस्कार |

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