मंगलवार, 8 मई 2018

बोट बरसा देना तू चुनाव आया है

      नमस्कार ,  आज मैं आपका परिचय हिंदी पद्य साहित्य की जिस विधा से कराने जा रहा हूं उसे प्रतिगीत कहते हैं |  प्रतिगीत विधा में  किसी लोकप्रिय गीत का व्यंगात्मक एवं हास्यात्मक रूपांतरण प्रस्तुत किया जाता है | अक्सर प्रतिगीत विधा में फिल्मी गीतों का हास्यात्मक एवं व्यंगात्मक रूपांतरण प्रस्तुत किया जाता है |

    कुछ दिनों पहले मैंने भी एक प्रतिगीत लिखने की कोशिश की है |  आप सबने एक मशहूर फिल्मी गीत 'मोहब्बत बरसा देना तू सावन आया है' सुना होगा | मैंने इस गीत का प्रतिगीत  लिखा है | जिसे मैं आपके समक्ष प्रस्तुत कर रहा हूं -

बोट बरसा देना तू चुनाव आया है


बोट बरसा देना तू चुनाव आया है
तेरे चरण छूने का मौका आया है - (2)

मेरे जितने के बाद महंगाई चली जाएगी
मेरे जीतने के बाद गांव में बिजली हो जाएगी
सच्चे हैं यह मेरे वादे
पूरे करने के हैं इरादे
मौका देकर देखें हमें भी एक बार
कैसे बताऊं सच्ची बात ये मेरी
रातभर सोचकर झूठे वादे लिख कर लाया हूं
मेरे चुनाव चिन्ह पर बटन दबाना तू
चुनाव आया है
तेरे चरण छूने का मौका आया है

सब कुछ करके बस जनता को मनाना है
वोटों के खातिर हद से गुजर जाना है
विधानसभा का टिकट पहली बार पाया है
बोट बरसा देना तू चुनाव आया है
तेरे चरण छूने का मौका आया है

बोट बरसा देना तू चुनाव आया है
तेरे चरण छूने का मौका आया है

    मेरी यह प्रतिगीत आप को कैसी लगी मुझे अपने कमेंट्र के जरिये जरूर बताइएगा |
अगर मेरे विचारों को लिखते वक्त मुझसे  शब्दों में कोई त्रुटि हो गई हो तो मैं उसके लिए बेहद क्षमा प्रार्थी हूं | नमस्कार |

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