तनमस्कार , क्षणिकाएं हिंदी साहित्य पद्य विधा की ऐसी छोटी रचनाएं हैं जिनका शीर्षक नहीं होता | तथा यह मूलतः छंदमुक्त भी होती हैं | क्षणिकाएं छोटी एवं कम शब्दों में बड़ी बात कहने की एक विधा का नाम है | छड़ी गांव का विषय मुख्यतः वर्तमान परिस्थिति पर आधारित होता है |
वर्तमान परिस्थितियों को मध्य नजर रखते हुए मैंने भी आजकल में कुछ क्षणिकाएं लिखी है | जिन्हें मैं आपके समक्ष प्रस्तुत कर रहा हूं -
हाय , हाय रे गर्मी
1) सूरज चाचा
के पास भी
कहां होगी
इतनी गर्मी
जितनी है
आजकल चुनाव
कि गर्मी
के पास भी
कहां होगी
इतनी गर्मी
जितनी है
आजकल चुनाव
कि गर्मी
2) क्या कहूं
क्या बताऊं
लोग अस्त व्यस्त हैं
और हैरान है
दिन के तापमान से
लगता है के
आग बरस रही है
आसमान से
क्या बताऊं
लोग अस्त व्यस्त हैं
और हैरान है
दिन के तापमान से
लगता है के
आग बरस रही है
आसमान से
3) थोड़ा तो दिखाओ
तेवर में नरमी
हाय रे गर्मी
हाय , हाय रे गर्मी
तेवर में नरमी
हाय रे गर्मी
हाय , हाय रे गर्मी
मेरी ये क्षणिकाएं आपको कैसी लगी मुझे अपने कमेंट्स के जिए जरूर बताइएगा | अगर अपने विचार को बयां करते वक्त मुझसे शब्दों में कोई गलती हो गई हो तो उसके लिए मैं तहे दिल से माफी चाहूंगा | मैं जल्द ही वापस आऊंगा एक नए विचार नयी रचनाओं के साथ | तब तक अपना ख्याल रखें, अपनों का ख्याल रखें ,नमस्कार |
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