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गुरुवार, 9 सितंबर 2021

कविता , जिसे कहते हैं हम जम्मू कश्मीर

      नमस्कार , लगभग महीने भर पहले मैने ये कविता लिखी थी जिसे मैं किसी व्यस्तत्ता के कारण आपसे साझा नही कर पाया था आज कर रहा हूं मुझे यकीन है कि आपको यह कविता पसंद आएगी 

जिसे कहते हैं हम जम्मू.कश्मीर


मां वैष्णो देवी का ये उपकार है 

बाबा अमरनाथ का भी दरबार है 

जिसे कहते हैं हम जम्मू.कश्मीर में 

स्वर्ग की अनुभूति का आनंद ही अपार है 

नवरेह का नवचंद्र का नव वर्ष है 

ईद , दशहरा , शिवरात्रि का भी पर्व है 

कश्मीरी कश्मीरीयत का यही अर्थ है 

तभी तो कहते हैं जम्मू.कश्मीर स्वर्ग है 

      मेरी ये कविता आपको कैसी लगी मुझे अपने विचार कमेन्ट करके जरूर बताइएगा | मै जल्द ही फिर आपके समक्ष वापस आउंगा तब तक साहित्यमठ पढ़ते रहिए अपना और अपनों का बहुत ख्याल रखिए , नमस्कार |

बुधवार, 26 मई 2021

कविता , अपनों को खोकर

      नमस्कार 🙏विधा कविता में विषय अपनों का गम पर दिनांक 4/4/2021 को मैने एक रचना की थी जिसे आपके समक्ष प्रस्तुत कर रहा हूं 

अपनों को खोकर 


आपनों को खोकर 

जीवन रस फिका लगेगा 

न अब सावन 

लगेगा मन भावन 

और फागुन 

फिका फिका लगेगा 

पकवान अब कोई 

न मीठा लगेगा 

आपनों को खोकर 

जीवन रस फिका लगेगा 

      मेरी ये कविता आपको कैसी लगी मुझे अपने विचार कमेन्ट करके जरूर बताइएगा | मै जल्द ही फिर आपके समक्ष वापस आउंगा तब तक साहित्यमठ पढ़ते रहिए अपना और अपनों का बहुत ख्याल रखिए , नमस्कार |


रविवार, 16 मई 2021

कविता , एक गिलहरी देखा मैने

      नमस्कार 🙏 करीब दो हफ्ते पहले मैने एक प्रतियोगिता के लिए यह कविता लिखी थी जिसमें मेरी यह कविता सम्मानित की गई है | अब इसे मै आपके हवाले कर रहा हूं कविता कैसी रही जरूर बताइएगा 

एक गिलहरी देखा मैने 


रेत के टीले में लोट लगाकर 

सागर जल में खुद को धोती थी 

ऐसा वो क्यों बार-बार करती थी 

देख इसे मन ही मन सोचा मैने 


एक गिलहरी देखा मैने 


तब निश्चय किया कि इसे 

क्या पीड़ा है , पूछ तो लू 

इसकी हृदय वेदना सून तो लू 

कर निश्चय फिर पूछा मैने 


एक गिलहरी देखा मैने 


गिलहरी ने कहा प्रभु श्री राम से 

आप लंका चले है धर्मरक्षा के काम से 

मौन रहकर यू ही मै शांत नही बैठुंगी 

सहयोग करुंगी,सागर में रेत भरने सोचा मैने 


एक गिलहरी देखा मैने 

   मेरी ये कविता आपको कैसी लगी मुझे अपने विचार कमेन्ट करके जरूर बताइएगा | मै जल्द ही फिर आपके समक्ष वापस आउंगा तब तक साहित्यमठ पढ़ते रहिए अपना और अपनों का बहुत ख्याल रखिए , नमस्कार |

बुधवार, 5 मई 2021

कविता , रोजगार का बंटाधार

        नमस्कार  🙏विषय - रोजगार पर विधा - कविता में दिनांक - 01/05/2021 को मैने एक रचना की थी जिसे आपके समक्ष रख रहा हूं 

रोजगार का बंटाधार 


कोरोना का काला जाल 

चली कैसी इसने चाल 

बुरा किया सब का हाल 

हो मालामाल या कोई कंगाल 

रोटी दाल के लाले पड़ गए 

चलते चलते पांव में छाले पड़ गए 

रोजगार का बंटाधार 

कर दिया कोरोना ने 

    मेरी ये कविता आपको कैसी लगी मुझे अपने विचार कमेन्ट करके जरूर बताइएगा | मै जल्द ही फिर आपके समक्ष वापस आउंगा तब तक साहित्यमठ पढ़ते रहिए अपना और अपनों का बहुत ख्याल रखिए , नमस्कार |

बुधवार, 28 अप्रैल 2021

कविता , सफरनामा है ज़िन्दगी

       नमन मंच  🙏 विषय - ज़िन्दगी विधा - कविता दिनांक - 23/4/2021 को मैने एक कविता की रचना की जिसे मैं आपके साथ साझा करना चाहूंगा | 

सफरनामा है ज़िन्दगी 


पहले रोने से लेकर 

अंतिम सांस तक का 

सफरनामा है ज़िन्दगी 


जिल्द पर माता पिता का 

दिया नाम लिखा है 

पहले पेज पर भूमिका में 

परिचय तमाम लिखा है 


दूसरे पन्ने पर हासिल की गई डिग्रीयां लिखी है 

अगले पन्ने पर महबूबा कि चिट्ठीयां लिखी है 


ये जो एक सादा पन्ना है 

वो टूटा हुआ सपना है 

एक भरे हुए पन्ने पर तमाम उम्र कमाई दौलत का हिसाब लिखा है 


अभी कुछ और पन्ने जोड़ने है सफरनामे में 

अरे याद आया कविता के चक्कर में नाड़ा डालना रह गया पैजामे  में 


अभी सफरनामे का लेखन कार्य बाकी है 

जब तक ये ज़िन्दगी है 

     मेरी ये कविता आपको कैसी लगी मुझे अपने विचार कमेन्ट करके जरूर बताइएगा | मै जल्द ही फिर आपके समक्ष वापस आउंगा तब तक साहित्यमठ पढ़ते रहिए अपना और अपनों का बहुत ख्याल रखिए , नमस्कार |


सोमवार, 26 अप्रैल 2021

कविता , धन का भजन

      नमस्कार  🙏साप्ताहिक काव्य प्रतियोगिता हिन्दी_काव्य_कोश में विषय - धन पर विधा - कविता में दिनांक - 23/4/2021 को रचना भेजी , रचना तो हार गई तो मैने सोचा के आपके साथ साझा किया जाए |

धन का भजन 


धन का भजन लगे बड़ा निराला 

जैसे हो कोई शहद का प्याला 


धन का सूरज बड़ा ही काला 

न दे पाता जीवन को उजाला 


धन तो केवल साधन है साधना नही 

धन तो केवल प्राप्य है अराधना नही 


धन मोहक तो है मोहन नही 

धन प्रिय तो है मगर प्रीतम नही 


धन धारण हो धारणा नही 

धन भोजन हो भावना नही 


धन सम्पति हो संतति नही 

धन समाधान हो विपत्ति नही 


धन का प्रयोग हो पालन नही 

धन का सम्मान हो शासन नही 


धन विचार हो आचार नही 

धन सक्षम हो लाचार नही 

    मेरी ये कविता आपको कैसी लगी मुझे अपने विचार कमेन्ट करके जरूर बताइएगा | मै जल्द ही फिर आपके समक्ष वापस आउंगा तब तक साहित्यमठ पढ़ते रहिए अपना और अपनों का बहुत ख्याल रखिए , नमस्कार |

रविवार, 21 मार्च 2021

कविता , दिनकर है मेरी कविता

      नमस्कार 🙏 मैने यह कविता साप्ताहिक काव्य प्रतियोगिता हिन्दी काव्य कोश के विषय - दिनकर के लिए विधा - कविता में दिनांक - 19/03/2021 को भेजी थी रचना तो विजयी नही हुई पर मैने ये सोचा के क्यों न आपके साथ भी इसे साझा किया जाए तो पेश कर रहा हूँ पढ़ कर विचार जरूर बताइएगा 

दिनकर है मेरी कविता


दिनकर है कर्तव्यपरायण 

दिनकर है उपकारी 

दिनकर के गुणगान करों 

दिनकर है सदाचारी 


दिनकर का उपकार दिन है 

दिनकर का आभार भी 

दिनकर का व्यवहार काव्य है 

दिनकर का विचार भी 


दिनकर को एक समान लगे 

दानी , धनी और दीन 

दिनकर सब का अपना है 

बलवान , अबला हो या हीन 


दिनकर मंगल वंदन में 

दिनकर स्वागत अभिनंदन में 

दिनकर सूक्ष्म विसाल सब है 

दिनकर ही भारत लंदन में 


दिनकर हर विधा में है 

दिनकर है अविधा में भी 

दिनकर मेरे शब्द-शब्द में 

दिनकर है मेरी कविता में भी 

      मेरी ये कविता आपको कैसी लगी मुझे अपने विचार कमेन्ट करके जरूर बताइएगा | मै जल्द ही फिर आपके समक्ष वापस आउंगा तब तक साहित्यमठ पढ़ते रहिए अपना और अपनों का बहुत ख्याल रखिए , नमस्कार |

रविवार, 14 मार्च 2021

कविता , मेरे पथिक सून

       नमस्कार 🙏हिन्दी काव्य कोश पर चल रहे एक साप्ताहिक काव्य प्रतियोगिता में विषय पथिक पर विधा कविता में दिनांक 12/03/2021 को मैने मेरी एक रचना भेजी थी रचना तो विजयी नही हुई पर मैने ये सोचा के क्यों न आपके साथ भी इसे साझा किया जाए तो पेश कर रहा हूँ पढ़ कर विचार जरूर बताइएगा |

मेरे पथिक सून 


ओ पथिक मेरे पथिक सून 

सांझ का ये रास्ता है 

रात काली और घनी है 

मेरा तुझको वास्ता है 


कल सवेरा हो तो जाना 

लौट कर फिर तुम न आना 

आज का खटका है मुझको 

कह रहा हूँ तभी तो तुझको 

झूठ का सच कह रहा हूँ 

सच को झूठा कह रहा हूँ 

इसमे मेरा क्या भला है 


ओ पथिक मेरे पथिक सून 

सांझ का ये रास्ता है 


आगे पथ से अनजान है तू 

इस शहर में मेहमान है तू 

चार पहर की रात है ये 

इतनी खामोशी आज है ये 

हो न जाए कुछ अनहोनी 

जीत तो है सच की होनी 

उस पे मेरी आस्था है 


ओ पथिक मेरे पथिक सून 

सांझ का ये रास्ता है 

     मेरी ये कविता आपको कैसी लगी मुझे अपने विचार कमेन्ट करके जरूर बताइएगा | मै जल्द ही फिर आपके समक्ष वापस आउंगा तब तक साहित्यमठ पढ़ते रहिए अपना और अपनों का बहुत ख्याल रखिए , नमस्कार |

मंगलवार, 23 फ़रवरी 2021

कविता , चल उजाला छीन लाते हैं

      नमस्कार , मैने एक नयी कविता बीते हुए परसों में लिखी है जिसे मै आपके समक्ष रखना चाह रहा था | ये कविता आपको कैसी लगी मुझे जरुर बताइएगा |

चल उजाला छीन लाते है

फिर साम को उससे दीया जलाएंगे


नाव लेकर चलते है मजधार में

उम्मीद बांध लेते हैं पतवार में

डुब भी गए तो क्या होगा हमारा

खबर तक नही छपेगी अखबार में

एक दिन सब बदल जाएगा दोस्त

ये जूगनु यही यकीन लाते है


चल उजाला छीन लाते है

फिर साम को उससे दीया जलाएंगे


पेट खाली है तो समझो सब बंजर है

भरा है पेट तो हसीन हर मंजर है

इमारतों की रोशनी आंख में चुभती है

मेरे बल्ब में कई चांद से मंजर हैं

एसी की ठंडक है मेरे टेबल फैन की हवा में

इस बार धनतेरस में सिलाई मशीन लाते है


चल उजाला छीन लाते है

फिर साम को उससे दीया जलाएंगे 

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      इस कविता को लिखते वक्त अगर शब्दो में या टाइपिंग में मुझसे कोई गलती हो गई हो तो उसके लिए मै बेहद माफी चाहूंगा | मै जल्दी ही एक नई रचना आपके सम्मुख प्रस्तुत करूंगा | तब तक अपना ख्याल रखें अपनों का ख्याल रखें , नमस्कार |

गुरुवार, 28 जनवरी 2021

कविता , कोरोना' तुझे हाय लगेगी मेरी

       नमस्कार , कोरोना महामारी के इस काल में हम सब ने कई अनुभव पाए जैसे कोरोना बीमारी का दर्द , कही हो न जाए इसका डर , अपनों को खोने का गम , घरों में कैद रहने की घुटन आदी | इन्ही एहसासों को मैने एक कविता में लिखने की कोशिश की है और मुझे यह आपको बताते हुए बहुत हर्ष हो रहा है की मेरी इस कविता को साहित्यपीडिया ने अपने साझा कविता संग्रह 'कोरोना' में प्रकाशित किया है | मेरी यह कविता आपको कैसी लगी मुझे अपने विचार अवश्य बताइएगा |

'कोरोना' तुझे हाय लगेगी मेरी


मैं कई महीनों से कैद हूँ घर में

बस तेरे डर से

अनलाँक नही कर पा रहा हूँ खुद को

बस तेरे डर से

दूर रहना बस तू सदा ही कोरोने

मेरे प्यारे घर से

नही तो सुनले वर्ना

‘कोरोना’ तुझे हाय लगेगी मेरी


घमंड छोड़कर सच को देख

तूने किए हैं पाप अनेक

अपने अंजाम को पाएगा तू

एक दिन मिट्टी में मिल जाएगा तू

अब जो एक भी जीवन छीना तूने

तो कान खोलकर सुनले वर्ना

कोरोना’ तुझे हाय लगेगी मेरी


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       इस कविता को लिखते वक्त अगर शब्दो में या टाइपिंग में मुझसे कोई गलती हो गई हो तो उसके लिए मै बेहद माफी चाहूंगा | मै जल्दी ही एक नई रचना आपके सम्मुख प्रस्तुत करूंगा | तब तक अपना ख्याल रखें अपनों का ख्याल रखें , नमस्कार |

रविवार, 24 जनवरी 2021

कविता , तांडव शब्द को बदनाम मत करो

      नमस्कार , तांडव विवाद तो आपको पता ही होगा इसी को ध्यान में रखते हुए मैने एक कविता लिखी है जिसे मै आपके सम्मुख प्रस्तुत कर रहा हूँ कविता पर अपने विचार जरुर बताइएगा |

तांडव शब्द को बदनाम मत करो


तांडव शब्द को बदनाम मत करो

अपनी ओछी विचारों वाली फिल्मों से

तांडव वो नृत्य है जिससे सृष्टि का सृजन हुआ

तांडव वो नृत्य है जिससे काम भस्म हुआ

तांडव सत्य का नाद है

तांडव पाप का विनाश है

तांडव है दहकती हुई आग की ज्वाला

तांडव है नीलकंठ में धारित हाला

मन का करुण विलाप तांडव है

संगीत का प्रथम आलाप तांडव है

तांडव केवल शिव नही है शक्ति भी है

तांडव केवल भय नही है भक्ति भी है

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शनिवार, 23 जनवरी 2021

कविता , नेता हो तो सुभाष जैसा हो

        नमस्कार , भारत की आजादी के प्रथम प्रमुख नायको मे से एक , राष्ट्रप्रेम और देशभक्ति के प्रतिक पुरुष ,  महान नेता एवं क्रांतिकारी नेताजी सुभाष चंद बोस को उनकी जन्मजयंती पर मेरा नतमस्तक नमन वंदन 🇮🇳🇮🇳🙏

        एक देश एवं इस महान देश के नागरीक होने के नाते हम नेताजी का जितना भी गुणगान करें वह कम होगा पर किर भी मैं अपनी छोटी सी एक कविता नेताजी के श्री चरणों में समर्पित करता हूँ


नेता हो तो सुभाष जैसा हो

वर्ना ना हो


कर्तव्यनिष्ठ राष्ट्रप्रेमी देशभक्त

स्वयं के स्वार्थ को परे रख

सत्य के पथ पर होकर अटल

तीव्र वेग से चलने वाले

पुण्य प्रकाश के जैसा हो


नेता हो तो सुभाष जैसा हो

वर्ना ना हो


जिसकी आवाज सुनकर के

देश के दुश्मनों के पैर कांपे

जो वचनबद्ध होकर के कर्तव्य 

निभाने को आठो पहर जागे

जिसका व्यक्तित्व आकाश जैसा हो


नेता हो तो सुभाष जैसा हो

वर्ना ना हो

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बुधवार, 30 दिसंबर 2020

कविता , आओ 2021 आओ

      नमस्कार , सबसे पहले आपको नए वर्ष 2021 की हार्दीक शुभकामनाएं | 2021 से कई उम्मीदे जताते हुए मैने एक कविता लिखी है जिसे मैं आपसे सम्मुख प्रस्तुत कर रहा हूं कैसी रही मुझे जरुर बताइएगा |


आओ 2021 आओ


आओ 2021 आओ

उम्मीदों की नई रोशनी लाओ

खुशखबरी की वैक्सीन लगाकर

महामारी को मार भगाओ

आओ 2021 आओ


मन के सारे गम मिटाओ

खुशहाली हर घर लाओ

नए सपनों के पंख लगाकर

सब का जीवन स्वर्ग बनाओ

आओ 2021 आओ


फिर इतिहास मत दोहराना

2020 की तरह मत आना

आओ तुम ऐसे के सब कहे

कुछ और बरस रुक जाओ

आओ 2021 आओ

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कविता , कलमुहे 2020

       नमस्कार , जैसा की आज 2020 का आखरी दिन है तो इस वर्ष की तमाम कड़वी यादों को दुनियां और अपने स्वयं के नजरिये से देखते हुए मैने एक छोटी सी कविता पिरोयी है जिसे मैं आपकी हाजिरी में रख रहा हूं अब आप पढ़कर बताए की आप की राय में यह साल 2020 कलमुहा है या नही |


कलमुहे 2020


जा कलमुहे 2020 जा

फिर कभी लौट कर ना आना

भुल कर भी मुह ना दिखाना


मेरा बस चले तो तेरा विनाश कर दूँ

विनाश ही क्या सर्वनाश कर दूँ

मैं तुझे मिटा दूँ अपने ख्वाबों से ख्यालों से

तू ने दूर कर दिया अपनों को 

अपने चाहनेवालों से


लाखों लोगों कों मौत के 

घाट उतार दिया तू ने

मेरे करियर का सारा प्लान

बिगाड़ दिया तू ने

अब नयी सहर के 

आने का इंतजार है मुझे

और तेरे बीत जाने का

इंतजार है मुझे

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गुरुवार, 13 अगस्त 2020

कविता , स्वागत नव युग

      नमस्कार , सर्व प्रथम आपको राम मंदिर शिलान्याश की हार्दिक शुभकामनाए | करीब 500 सालों के इंतजार तथा हजारों लोगों की बलिदानीयों के बाद राम भक्त हिन्दुओं के हिस्से यह पावन दिन आ पाया है और अभी सत्य की लडा़ई लम्बी है | नव युग का स्वागत करते हुए मेरी यह कविता 6 अगस्त की है जिसे मैं आपके दयार में रख रहा हुं


स्वागत नव युग 


स्वागत नव युग के प्रथम सुर्य

स्वागत नव युग के प्रथम प्रकाश

भव्य पुष्प कमल के उजास

हर जन मन हर्षित गर्वीत

जन जन को सुख आने का विश्वास

सत्य सनातन नभ में गुंजन

स्वागत नव युग के आकाश


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सोमवार, 3 अगस्त 2020

कविता , राखी अनमोल होती है

      नमस्कार , आपको रक्षाबंधन कि हार्दिक शुभकामनाएं | आज के इस पावन दिन पर मैने एक कविता लिखी है जिसे आपके सम्मुख प्रस्तुत कर रहा हुं 

राखी अनमोल होती है

रंग बिरंगे रेशम के धागे के उपर
चक्र , चिडि़या , फूल , कबुतर
कि डिजाइनों से सजी हुई
दुकानों पर बिकती हुई
कलाईयों पर बांधे जाने के लिए तैयार
इन स्नेह बंधनों का अस्तीत्व
केवल इतना बस नही है
ये तो दिलों को , मन से , जीवन से
जीवनभर के लिए बांध देती हैं
और इनका छुट जाना रिश्तों का
टुट जाना हो जाता है

यही स्नेह बंधन है जो भाईयों को
भाई होने , कहलाने का दर्जा दिलाता है
यही स्नेह बंधन है जो भाईयों को
हजारों मिल दूर से भी बहन भाई को
एक दिन एक साथ ले आता है
कभी तोहफे के बराबर या कम
मत समझ लेना इसको क्योंकि
राखी अनमोल होती है

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रविवार, 29 मार्च 2020

कविता , करोना से हमको युद्ध लड़ना है

     नमस्कार , करोना वायरस कविड 19 चीन के वुहान प्रांत से फैला एक जानलेवा वायरस है जिससे अब तक दुनिया में 29 हजार के करीब मौतें हो चुकी हैं और 6 लाख से ज्यादा लोग इस बिमारी के चपेट में आ चुके हैं | चीन से फैला यह खतरनाक वायरस अब तक दुनियां भर के 203 से ज्यादा देशों में फैल चुका है |

     हमारे देश भारत में भी यह वायरस बहोत तेजी से फैल रहा है देश में अब तक कुल 1024 पॉजिटीव मरीज मिले हैं तथा इस वायरस से मरने वालों कि संख्या बढकर 27 हो गई है | इस वायरस के फैलाव को रोकने के लिए पुरे देश में 25 मार्च से 14 अप्रैल तक 21 दिन का लॉकडाउन घोषित किया गया है जो कि करोना वायरस कोविड 19 के खिलाफ भारत कि लडा़ई का निर्णायक कदम साबित होकता है |

     करोना वायरस कोविड 19 से स्वयं का बचाव ही इसका सबसे बेहतर इलाज है मैं यहा जोर देकर यह बताना चाहुंगा के अब तक इस भयावह बिमारी का कोई इलाज नही ढुढा़ जा सका है | करोना वायरस कोविड 19 से बचाव के लिए आप डाक्टरों के द्वारा बताई जा रही कुछ आधारभुत सावधानियॉ जरुर रखें

1.किसी से मिलें तो हाथ मिलाने के बजाय नमस्ते करें
2.बीना किसी ठोस वजय के घर से बाहर ना जाएं घर पर रहें यदि आवश्यकता बस बाहर जाना पड़ जाए तो मुंह पर मास्क लगाकर जाएं
3.अपने हाथों को बार बार चेहरें एवं आंखों पर ना लगाएं तथा अपनें हाथों को लगातार 20 सेकेंड तक साबुन से धोते रहें या सेनेटाइजर से सेनेटाइज करतें रहें
4.किसी अपरिचित व्यक्ति से 2 मिटर की दुरी बनाकर बात करें
5.सबसे महत्वपुर्ण सावधानी यह है कि बाहर ना जाएं घर पर ही रहें

    करोना वायरस कोविड 19 से संक्रमण का पता दो से 14 दिन में चलता है डॉक्टरों का कहना है कि इसके कुछ लक्षण निम्नलिखित हैं

1.सर्दी , सुखी खांसी , तेज बुखार आना
2.गले में तेज दर्द होना , सांस लेने में परेशानी होना
3.थकावट महसुस होना आदी

     यदि आपको इस तरह के लक्षण महसुस हो तो बिना देर किए डॉक्टर के पास जाएं और अपना चेकअप करवाएं | आप चाहें तो केन्द्र या राज्य सरकारों के द्वारा उपलब्ध करवाई गई हेल्पलाइन पर भी सम्पर्क कर सकते हैं |

     करोना वायरस कोविड 19 के खिलाफ हमारी लडा़ई के केन्द्र में रखकर मैंने एक कविता लिखी है जिसे मैं आपके सम्मुख प्रस्तुत कर रहा हुं |

करोना से हमको युद्ध लड़ना है
तो घर में हि रहना है

बिना काम के बाहर न जाएं
जाएं भी तो मास्क लगाएं
बार बार सेनेटाइजर से साफ करें हाथों को
बार बार चेहरे पर हाथ बिल्कुल ना लगाएं
केवल सतर्कता ही एकमात्र उपचार है
हाथ जोड़कर मेरा सभी से
केवल इतना कहना है

करोना से हमको युद्ध लड़ना है
तो घर में हि रहना है

ये सभी सावधानियां अनिवार्य हैं
यही हमारा आधार हैं
इस खतरनाक बिमारी के खिलाफ
युद्ध लड़ने के लिए
अब भारत देश मेरा तैयार है
जन जागरुक्ता हि तो हथियार है
हमें इस अभियान में केवल इतना करना है
दृढ़ निश्चय करके विजयी हमको बनना है

करोना से हमको युद्ध लड़ना है
तो घर में हि रहना है

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कविता , क्योकि इनको शिर्फ तुम जानते हो

     नमस्कार , 8 मार्च विश्व महिला दिवस पर मैने एक कविता अपने सोसल मिडिया एकाउंट्स पर पोस्ट कि थी जिसे आप लोगों ने बहोत सराहा था अब इसे मैं यहां लिखने कि हिम्मत कर रहा हुं मुझे उम्मीद है कि आपको यह पसंद आएगी

क्योकि इनको शिर्फ तुम जानते हो

महिलाएं औरतें नारी स्त्री जनानीयां
जिस भी संबोधन से जानते हो इनको
सम्मान करो इनका
हो सके तो गुणगान करो इनका
बेटी बहू मां बहन
कि गाली मत दो
इनको इज्जत दो
शुक्रिया कहो मां को
तुम्हे बेटा कहने के लिए
शुक्रिया कहो बहन को
तुम्हे भाई कहने के लिए
शुक्रिया कहो बेटी को
तुम्हे पापा कहने के लिए
शुक्रिया कहो दादी नानी को
उनकी कहानीयों के लिए
शुक्रिया कहो चाचीयों मामीयों
और बुआओं मौसीयों को
उनसे कि हुई शैतानियों के लिए
शुक्रिया कहो सालियों भाभीयों को
उनसे कि हुई मनमानियों के लिए
सैकडो़ रिश्ते बनाए हैं इनसे
सैकडो़ रुप समाए हैं इनमें
इन्ही में दुर्गा सरस्वती हैं
और परीयां अप्सराए हैं इनमें
कह सको तो एक शुक्रिया कहो
अपनी धर्मपत्नी को
जिसने जीवनभर के लिए
अपना बनाया है तपमको
पिता कहलाने का शुख देकर
इतना जिम्मेदार बनाया है तुमको
आज एक शुक्रिया कहो इनको
तुम्हारे जीवन में इनके महत्व को
क्योकि इनको शिर्फ तुम जानते हो

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शनिवार, 14 मार्च 2020

कविता , हमें सरदार ने सिखाया था

    नमस्कार , मैने एक कविता लिखी है भारत के प्रथम गृहमंत्री और तेजस्वी नेता लौह पुरुष सरदार पटेल को समर्पित करते हुए

हमें सरदार ने सिखाया था

कण कण जोड़कर एक घर बनाना
घर को सुनहरे सपनों से सजाना
सपनों को अपने दुश्मनों से बचाना
हमें सरदार ने सिखाया था

गली-गली गांव-गांव पग-पग अनेकता
भाषा , बोली , रंग , पंथ , भाव की विभिन्नता
विभिन्नता में एक स्वर में एकता
हमें सरदार ने सिखाया था

नफरतों की साजिशों की हुई पराजय
लोकतंत्र के भावना की हो गई विजय
लाख दुश्मन हो मगर भारत रहेगा अजय
हमें सरदार ने सिखाया था

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कविता , ईकरार नामा

     नमस्कार , ईकरार नामा ये कविता मैने करीबन तिन साल पहले लिखी थी जब यवा मन ने किसी के प्रति कुछ इसी तरह कि भावनाए जागृत हुई थी हालाकि यह कविता तब मै किसी को न सुना पाया और ना ही कहीं लिख पाया था क्यों कि तब मेरे पास इस तरह का कोई माध्यम नही था पर अब यह कविता आपके सामने है अच्छा है या बुरा यह मै आप पर छोड़ देता हुं

ईकरार नामा

मेरे प्रिय साथी
हमसफर , राही

          जाने कितने दिनों से
          मेरे दिल के कोने में
          दबी हुई भावनाएं
          मुझे तड़पाएं

          मैं चाहूं जब कहना
          ख्वाईसें बस तेरे संग रहना
          तब मन में अजीब सी
          कश्मकश कि लडी़यॉ
          मुझे उलझाएं , भटकाएं

          बेजुबां सा हो जाता हुं
          तुझे साथ पाकर
          लगता है जैसे जी लिया वर्षों
          चंद लम्हे बिताकर

          तेरा वो मूस्कुराना
          मुझे बहोत शुकुन देता है
          हमारा वो बात-बात पर लड़ना
          रुठना और मनाना
          चाहतें और बढा़ देता है

          तुम्हे ना देखुं एक पल भी
          तो बेचैन सा हो जाता हुं
          तु नही जानती मैं कैसे
          बिन तेरे रात बिताता हुं
          तेरी यादों के सपनों को
          अपने संग जगाता हुं

          मेरी जिन्दगी तुम हो
          मेरी आशिकी तुम हो
          तेरे बिन मैं तनहा हुं
          शांत होकर मेरी धड़कन सुनना
          ये तुमसे कुछ कहती हैं
          मैं तुमसे प्यार करता हुं
          खत मे यही लिखता हुं
          बस यहीं तक लिखता हुं

तुम्हारे प्यार का प्यासा
दीवाना , हमदर्द तुम्हारा

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