भाग १
एक वनवास तब मिला था
जब लंका में पाप बढ़ा था
धर्म की हानी हो रही थी
चारों दिशाओं में त्राहिमाम मचा था
नारी का सम्मान नही था
मर्यादा का मान नही था
मानवता का ज्ञान नही था
कोई संविधान नही था
नीति नही थी न्याय की
वह प्रतिष्ठा नही थी गाय की
सत्य का आभाव था
रीति चल रही थी अन्याय की
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