नमस्कार , जैसा की आज 2020 का आखरी दिन है तो इस वर्ष की तमाम कड़वी यादों को दुनियां और अपने स्वयं के नजरिये से देखते हुए मैने एक छोटी सी कविता पिरोयी है जिसे मैं आपकी हाजिरी में रख रहा हूं अब आप पढ़कर बताए की आप की राय में यह साल 2020 कलमुहा है या नही |
कलमुहे 2020
जा कलमुहे 2020 जा
फिर कभी लौट कर ना आना
भुल कर भी मुह ना दिखाना
मेरा बस चले तो तेरा विनाश कर दूँ
विनाश ही क्या सर्वनाश कर दूँ
मैं तुझे मिटा दूँ अपने ख्वाबों से ख्यालों से
तू ने दूर कर दिया अपनों को
अपने चाहनेवालों से
लाखों लोगों कों मौत के
घाट उतार दिया तू ने
मेरे करियर का सारा प्लान
बिगाड़ दिया तू ने
अब नयी सहर के
आने का इंतजार है मुझे
और तेरे बीत जाने का
इंतजार है मुझे
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इस कविता को लिखते वक्त अगर शब्दो में या टाइपिंग में मुझसे कोई गलती हो गई हो तो उसके लिए मै बेहद माफी चाहूंगा | मै जल्दी ही एक नई रचना आपके सम्मुख प्रस्तुत करूंगा | तब तक अपना ख्याल रखें अपनों का ख्याल रखें , नमस्कार |
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