बुधवार, 30 दिसंबर 2020

कविता , कलमुहे 2020

       नमस्कार , जैसा की आज 2020 का आखरी दिन है तो इस वर्ष की तमाम कड़वी यादों को दुनियां और अपने स्वयं के नजरिये से देखते हुए मैने एक छोटी सी कविता पिरोयी है जिसे मैं आपकी हाजिरी में रख रहा हूं अब आप पढ़कर बताए की आप की राय में यह साल 2020 कलमुहा है या नही |


कलमुहे 2020


जा कलमुहे 2020 जा

फिर कभी लौट कर ना आना

भुल कर भी मुह ना दिखाना


मेरा बस चले तो तेरा विनाश कर दूँ

विनाश ही क्या सर्वनाश कर दूँ

मैं तुझे मिटा दूँ अपने ख्वाबों से ख्यालों से

तू ने दूर कर दिया अपनों को 

अपने चाहनेवालों से


लाखों लोगों कों मौत के 

घाट उतार दिया तू ने

मेरे करियर का सारा प्लान

बिगाड़ दिया तू ने

अब नयी सहर के 

आने का इंतजार है मुझे

और तेरे बीत जाने का

इंतजार है मुझे

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      इस कविता को लिखते वक्त अगर शब्दो में या टाइपिंग में मुझसे कोई गलती हो गई हो तो उसके लिए मै बेहद माफी चाहूंगा | मै जल्दी ही एक नई रचना आपके सम्मुख प्रस्तुत करूंगा | तब तक अपना ख्याल रखें अपनों का ख्याल रखें , नमस्कार |

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