रविवार, 24 जनवरी 2021

कविता , तांडव शब्द को बदनाम मत करो

      नमस्कार , तांडव विवाद तो आपको पता ही होगा इसी को ध्यान में रखते हुए मैने एक कविता लिखी है जिसे मै आपके सम्मुख प्रस्तुत कर रहा हूँ कविता पर अपने विचार जरुर बताइएगा |

तांडव शब्द को बदनाम मत करो


तांडव शब्द को बदनाम मत करो

अपनी ओछी विचारों वाली फिल्मों से

तांडव वो नृत्य है जिससे सृष्टि का सृजन हुआ

तांडव वो नृत्य है जिससे काम भस्म हुआ

तांडव सत्य का नाद है

तांडव पाप का विनाश है

तांडव है दहकती हुई आग की ज्वाला

तांडव है नीलकंठ में धारित हाला

मन का करुण विलाप तांडव है

संगीत का प्रथम आलाप तांडव है

तांडव केवल शिव नही है शक्ति भी है

तांडव केवल भय नही है भक्ति भी है

    मेरी ये कविता अगर अपको पसंद आए है तो आप मेरे ब्लॉग को फॉलो करें और अब आप अपनी राय बीना अपना जीमेल या जीप्लप अकाउंट उपयोग किए भी बेनामी के रूप में कमेंट्र कर सकते हैं | आप मेरे ब्लॉग को ईमेल के द्वारा भी फॉलो कर सकते हैं |

      इस कविता को लिखते वक्त अगर शब्दो में या टाइपिंग में मुझसे कोई गलती हो गई हो तो उसके लिए मै बेहद माफी चाहूंगा | मै जल्दी ही एक नई रचना आपके सम्मुख प्रस्तुत करूंगा | तब तक अपना ख्याल रखें अपनों का ख्याल रखें , नमस्कार |

2 टिप्‍पणियां:

  1. उपयोगी और सटीक।
    --
    गणतन्त्र दिवस की पूर्वसंध्या पर हार्दिक शुभकामनाएँ।

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. आपको भी गणतंत्र दिवस की पुर्व संध्या पर हार्दीक शुभकामनाएं सर

      हटाएं

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