रविवार, 16 मई 2021

कविता , एक गिलहरी देखा मैने

      नमस्कार 🙏 करीब दो हफ्ते पहले मैने एक प्रतियोगिता के लिए यह कविता लिखी थी जिसमें मेरी यह कविता सम्मानित की गई है | अब इसे मै आपके हवाले कर रहा हूं कविता कैसी रही जरूर बताइएगा 

एक गिलहरी देखा मैने 


रेत के टीले में लोट लगाकर 

सागर जल में खुद को धोती थी 

ऐसा वो क्यों बार-बार करती थी 

देख इसे मन ही मन सोचा मैने 


एक गिलहरी देखा मैने 


तब निश्चय किया कि इसे 

क्या पीड़ा है , पूछ तो लू 

इसकी हृदय वेदना सून तो लू 

कर निश्चय फिर पूछा मैने 


एक गिलहरी देखा मैने 


गिलहरी ने कहा प्रभु श्री राम से 

आप लंका चले है धर्मरक्षा के काम से 

मौन रहकर यू ही मै शांत नही बैठुंगी 

सहयोग करुंगी,सागर में रेत भरने सोचा मैने 


एक गिलहरी देखा मैने 

   मेरी ये कविता आपको कैसी लगी मुझे अपने विचार कमेन्ट करके जरूर बताइएगा | मै जल्द ही फिर आपके समक्ष वापस आउंगा तब तक साहित्यमठ पढ़ते रहिए अपना और अपनों का बहुत ख्याल रखिए , नमस्कार |

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