गुरुवार, 9 सितंबर 2021

कविता , जिसे कहते हैं हम जम्मू कश्मीर

      नमस्कार , लगभग महीने भर पहले मैने ये कविता लिखी थी जिसे मैं किसी व्यस्तत्ता के कारण आपसे साझा नही कर पाया था आज कर रहा हूं मुझे यकीन है कि आपको यह कविता पसंद आएगी 

जिसे कहते हैं हम जम्मू.कश्मीर


मां वैष्णो देवी का ये उपकार है 

बाबा अमरनाथ का भी दरबार है 

जिसे कहते हैं हम जम्मू.कश्मीर में 

स्वर्ग की अनुभूति का आनंद ही अपार है 

नवरेह का नवचंद्र का नव वर्ष है 

ईद , दशहरा , शिवरात्रि का भी पर्व है 

कश्मीरी कश्मीरीयत का यही अर्थ है 

तभी तो कहते हैं जम्मू.कश्मीर स्वर्ग है 

      मेरी ये कविता आपको कैसी लगी मुझे अपने विचार कमेन्ट करके जरूर बताइएगा | मै जल्द ही फिर आपके समक्ष वापस आउंगा तब तक साहित्यमठ पढ़ते रहिए अपना और अपनों का बहुत ख्याल रखिए , नमस्कार |

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

Trending Posts