नमस्कार , नयी गजलों के सिलसिले की एक और नयी गजल आपके प्लेटफार्म पर प्रस्तुत कर रहा हुं मुझे यकिन है आपको पसंद आएगी |
अमृत पीने की तमन्ना कौन नही करता
मौत से ज्यादा जीने की तमन्ना कोन नही करता
मेरा उसका वस्ल बहोत मुस्कील है मगर
चांद को छुने की तमन्ना कौन नही करता
नसीब किसी किसी का साथ देता है फिर भी समंंदर में सफिने की तमन्ना कौन नही करता
खुदा की मेहरबानी है फनकार होना लेकीन
फन में नगिने की तमन्ना कौन नही करता
किसी कारनामें से क्या हिजरत मे जिन्दगी
नही तो वस्ल में जीने की तमन्ना कौन नही करता
मुकद्दर और हालात हाथों में कासा थमाते हैं तनहा
वरना चांदी सोने की तमन्ना कौन नही करता
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इस गजल को लिखते वक्त अगर शब्दो में या टाइपिंग में मुझसे कोई गलती हो गई हो तो उसके लिए मै बेहद माफी चाहूंगा | मै जल्दी ही एक नई रचना आपके सम्मुख प्रस्तुत करूंगा | तब तक अपना ख्याल रखें अपनों का ख्याल रखें , नमस्कार |
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