नमस्कार , मेरा मानना ये है की एक कवी एक शायर को हर किमत पर सच कहने एवं लिखने के लिए तैयार रहना चाहिए ताकी आम जन को सत्य का बोध हर पीढी हर दौर में होता रहे | मेरी बाकी सभी कोशिशो की तरह यह हास्य व्यंग कविता भी एक कोशिश है मेरा इस कविता को लिखने का मक्सद किसी की छवी को आधात पहुचाना नही है और ना ही किसी की भावनाओ को आघात पहुचाना है |
बंगाल की दीदी
राजनीतिक चाह के बबाल की दीदी
बंगाल की दीदी , बंगाल की दीदी
सत्ता कि शक्ति का दुरउपयोग
बीना काम का बल प्रयोग
अहिंसको की भक्षक
और हिंसकों कि रक्षक
विरोधियों के मौतों का सबाल की दीदी
हैं बहोत ही कमाल की दीदी
बंगाल की दीदी , बंगाल की दीदी
न जनता का मोह न जनता की ममता
यह अविश्वास कब तक जमता
नयी हवा से जो कर्सी हिली है
रानी का गुस्सा भला कैसे थमता
हार जीत के माया जाल की दीदी
राहुल और केजरीबाल की दीदी
बंगाल की दीदी , बंगाल की दीदी
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इस हास्य व्यंग कविता को लिखते वक्त अगर शब्दो में या टाइपिंग में मुझसे कोई गलती हो गई हो तो उसके लिए मै बेहद माफी चाहूंगा | मै जल्दी ही एक नई रचना आपके सम्मुख प्रस्तुत करूंगा | तब तक अपना ख्याल रखें अपनों का ख्याल रखें , नमस्कार |
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