मंगलवार, 22 अक्तूबर 2019

कविता, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता संकट में है

    नमस्कार , आप सब को पता ही होगा की अभी एक हत्या की खबर समाचार चैनलों पर चल रहीं है और हत्या किसकी हुई है क्यो हुई है और किन लोगों ने कि है आप ये सब भी जानते है |  इसी को ध्यान में रखकर मैने ये नयी कविता लिखी है मै चाहुंगा के आप एक बार मेरी ये कविता जरुर पढे |

अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता संकट में है

जब सत्य लिखने से पहले हत्या का डर हो
जब सत्य बोलने से पहले हत्या का डर हो
मतलब अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता संकट में है

अब समय है आगे आओ
अब समय है आवाज उठओ
अब समय है एकता दिखाओ
अब समय है आलस्य मिटाओ
अब समय है मेरे स्वर मे स्वर मिलाओ
क्योकी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता संकट में है

सत्य के मौत की जिम्मेदारी हमारी है
इस समाज मे सब की हिस्सेदारी है
शांती के संदेश मे हमारी कितनी भागीदारी है
डर के खिलाफ लडने मे समझदारी है
क्या हमे पता है हमारी कितनी तैयारी है
विजय हो या पराजय धर्म सदा अधर्म पर भारी है
हर प्रयास सफलता का अधिकारी है
पर अकर्मठता मानसिक बिमारी है
जबकि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता संकट में है

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      इस कविता को लिखते वक्त अगर शब्दो में या टाइपिंग में मुझसे कोई गलती हो गई हो तो उसके लिए मै बेहद माफी चाहूंगा | मै जल्दी ही एक नई रचना आपके सम्मुख प्रस्तुत करूंगा | तब तक अपना ख्याल रखें अपनों का ख्याल रखें , नमस्कार |

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