गुरुवार, 17 अक्तूबर 2019

ग़ज़ल, मोहब्बत की किताब है चौथ का चांद है

    नमस्कार , यहा मै अपनी नयी गजल आपकी जानीब में रख रहा हुं मेरी दिली तमन्ना है कि मेरी ये नयी गजल आपको बेहद पसंद आएगी

खूबसूरत बेहिसाब है चौथ का चांद है
मोहब्बत की किताब है चौथ का चांद है

माशूक ने माशूका को देखा तो ये कहा
जीता जागता महताब है चौथ का चांद है

शायर ने शायरा को देखा तो ये कहा
हुस्न लाजवाब है चौथ का चांद है

जीजा ने साली को देखा तो ये कहा
नई नई गुलाब है चौथ का चांद है

मयकदे में शराबी ने मय देखा तो ये कहा
भरी हुई तालाब है चौथ का चांद है

सौहर ने बेगम को देखा तो ये कहा
मेरा जीना आजाब है चौथ का चांद है

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      इस गजल को लिखते वक्त अगर शब्दो में या टाइपिंग में मुझसे कोई गलती हो गई हो तो उसके लिए मै बेहद माफी चाहूंगा | मै जल्दी ही एक नई रचना आपके सम्मुख प्रस्तुत करूंगा | तब तक अपना ख्याल रखें अपनों का ख्याल रखें , नमस्कार |

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