शनिवार, 26 अक्तूबर 2019

ग़ज़ल, सारा हिन्दुस्तान मुझमें है

       नमस्कार ,  नयी गजलों के सिलसिले की एक और नयी गजल आपके प्लेटफार्म पर प्रस्तुत कर रहा हुं मुझे यकिन है आपको पसंद आएगी |

इश्वर अल्लाह भगवान गीता बाइबल कुरान मुझमें हैं
सारे हिन्दुस्तान में हुं मै और सारा हिन्दुस्तान मुझमें है

एक तरफ हैं फूलों के खेत खलिहान और पर्वत पहाडियां है
एक तरफ समंदर और सारा रेगिस्तान मुझमें है

दिल के किसी कोने मे हैं मोहब्बत के सब्ज पेड
और किसी कोने में सारा नख्लीस्तान मुझमें है

क्या है मोहब्बत दानिश्वरों तक का यही सबाल है
उसमें है मेरी और उसकी जान मुझमें है

गज भर जमीन है मेरी रत्ती भर मिलकीयत में
कहीं तनहा सारा का सारा आसमान मुझमें है

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      इस गजल को लिखते वक्त अगर शब्दो में या टाइपिंग में मुझसे कोई गलती हो गई हो तो उसके लिए मै बेहद माफी चाहूंगा | मै जल्दी ही एक नई रचना आपके सम्मुख प्रस्तुत करूंगा | तब तक अपना ख्याल रखें अपनों का ख्याल रखें , नमस्कार |

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