मंगलवार, 22 अक्टूबर 2019

ग़ज़ल, ग़ज़ल में उसे लिखूं या कुछ नया लिखूं

      नमस्कार , दरहसल गजल हिन्दी उर्दू अदबी साहित्य की  खुबसुरत और कामयाब विधा है के इसकी तरह अगर कोई आडी और तिरछी कलम भी चला ले तो वह मेरा जैसा साहित्य का कविताओ का शायरी का विद्यार्थी भी खुद को गजलगो समझने लगता है | तो इन्ही आडी तिरछी लाइनो मे एक और नयी लाइन के रुप में मेरी इस नयी गजल को समात फर्माए

कितना छोडुं कहॉ से कितना क्या लिखूं
गजल मे उसे लिखूं या कुछ नया लिखूं

अभी तो बस तप्सील जारी है पुख्ता नही है
मर्ज पकड में आ जाए तो दवा लिखूं

दिल मेरा मोहब्बत का संगिन मुजरिम है
आपकी कैद है कहो कौन सी दफा लिखूं

हुस्नवालो से कहो हमे हवस नही मोहब्बत है
मेरा बस चले तो आस्मां पे वफा लिखूं

गुल को छोड पत्थर चुननेवालों को क्या कहें
मुझे क्या गरज कि किसी को बेवफा लिखूं

उब आगया हुं तेरी ख्वाईश करते करते
अब बता ना तेरी तारिफ कितनी दफा लिखूं

कलम की रोशनाई खत्म हो गई गम लिखने में
अब वक्त आया है के कुछ दुआं लिखूं

जला के चल दिए है दीया तनहा महफील में
इसके बुझने की वजह पानी है या हवा लिखूं

      मेरी ये गजल अगर अपको पसंद आई है तो आप मेरे ब्लॉग को फॉलो करें और अब आप अपनी राय बीना अपना जीमेल या जीप्लप अकाउंट उपयोग किए भी बेनामी के रूप में कमेंट्र कर सकते हैं | आप मेरे ब्लॉग को ईमेल के द्वारा भी फॉलो कर सकते हैं |

      इस गजल को लिखते वक्त अगर शब्दो में या टाइपिंग में मुझसे कोई गलती हो गई हो तो उसके लिए मै बेहद माफी चाहूंगा | मै जल्दी ही एक नई रचना आपके सम्मुख प्रस्तुत करूंगा | तब तक अपना ख्याल रखें अपनों का ख्याल रखें , नमस्कार |

3 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" में गुरुवार 24 अक्टूबर 2019 को साझा की गयी है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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  2. मनोभावों को शब्दों से खेलकर अनोखे अंदाज में जताना आपको एक अच्छा रचनाकार बनाता है

    ग़ज़ल लिखना मुश्किल तो नहीं लेकिन चुनौतीपूर्ण जरुर है

    मैं ब्लॉग पर नया हूं और अपनी भावनाएँ लिखने की कोशिश करता हूं मेरे ब्लॉग पर पधारें 🙏
    शुभकामनाएं 👍

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  3. बहुत खूबसूरत अशआर। सुंदर ग़ज़ल।

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