गुरुवार, 17 अक्टूबर 2019

कविता, पहला करवा चौथ

      नमस्कार , आपको करवा चौथ की हार्दिक शुभकामनाएं | पति पत्नी के मध्य प्यार का यह अभुतपुर्व जिसका संकेत चांद बनता है | यह पर्व रिश्ते को किसी बोझ की तरह नही बल्की जिम्मेदारी एवं आपसी सहयोग से जीवन को गुणवान बनाने का सुचक है | मै इस बार नया नया करवा चौथ मना रहे जोडो को अतिरिक्त बधाई देता हुं | इसी विषय पर मेरी एक नयी कविता साझा कर रहा हुं |

पहला करवा चौथ

करवा में जल भरकर
चलनी में दीप रखकर
सोलह श्रृंगार कर
दिन भर का उपवास कर
सुहागन सुहाग के साथ कर रही है
चौथ के चांद की प्रतीक्षा
सदा प्रेम इसी तरह बना रहे
यही है मन की इच्छा
दिन भर की भूखी प्यासी
सुहागन की मनोकामना
इतनी कठिन तपस्या के बाद
अब और न लो सबर की परीक्षा
गगन में निकल आओ चौथ के चांद

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      इस कविता को लिखते वक्त अगर शब्दो में या टाइपिंग में मुझसे कोई गलती हो गई हो तो उसके लिए मै बेहद माफी चाहूंगा | मै जल्दी ही एक नई रचना आपके सम्मुख प्रस्तुत करूंगा | तब तक अपना ख्याल रखें अपनों का ख्याल रखें , नमस्कार |

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