रविवार, 30 दिसंबर 2018

नज्म, हमारे मोहब्बत का तो कबाड़ा सा हो गया है

     नमस्कार प्रणाम अर्पित करता हूं आपको , ये एक और छोटी सी नज्म पेशे खिदमत है मुझे उम्मीद है कि मेरी ये रचना आपको आनंदित करेगी |

हम निगाहों के लहरों में बहते जा रहे हैं
नजाने किनारा यूं खो सा गया है

सहते जा रहे हैं हम बेवफाई के दर्दों को
मरहम हमारा कहीं खो सा गया है

बस्तियां बसेंगी मेरी कब्र पर
प्रियतम हमारा हमसे दूर हो सा गया है

आंखें बिछी हैं आपके सफर पर आशिकों की
हमारे मोहब्बत का तो कबाड़ा सा हो गया है

      मेरी नज्म के रूप में एक और छोटी सी यह कोशिस आपको कैसी लगी है मुझे अपने कमेंट के जरिए जरुर बताइएगा | अगर अपनी रचना को प्रदर्शित करने में मुझसे शब्दों में कोई त्रुटि हो गई हो तो तहे दिल से माफी चाहूंगा | एक नई रचना के साथ मैं जल्द ही आपसे रूबरू होऊंगा | तब तक के लिए अपना ख्याल रखें , अपने चाहने वालों का ख्याल रखें | मेरी इस रचना को पढ़ने के लिए आपका बहुत-बहुत शुक्रिया | नमस्कार |

नज्म, कही गुस्ताखी न बन जाए यह जवानी

       नमस्कार प्रणाम , दिसंबर 2012 की 10 रचनाओं की अगली कड़ी में मै आपके दयार में एक नज्म प्रस्तुत कर रहा हूं आपके अपनाव की आशा है |

आज जिंदगी लिख रही है यह एक नई कहानी
होश में आ जा मस्ताने कहीं गुस्ताखी न बन जाए यह जवानी

रोमटे सिहर उठे हैं देखते ही यह रवानी
जंग है हाथ में शमशीर है तो इतिहास को दे दे एक नई मुंह जबानी

चाहते तो बहुत थी पर भूल गई वह दीवानी
न जाने कौन छोड़ गया उसे मेरी यादों में महकती है जैसे ही कोई रात रानी

कल की परवाह है किसे है एक जिंदगानी
इसे जी ले या बहा दे ऐसे जैसे बहता है नदियों में पानी

आज काली रात है तो कल होगी सहर सुहानी
उम्मीद ना छोड़ तू यही है जो कल होंगी बढ़कर सयानी

दर्द दिल में जो छुपा है ,  तू जानता है हमें आंसू नहीं बहानी
बता दे दुनिया वालों को ना देख तू तारे आसमानी

    मेरी नज्म के रूप में एक और छोटी सी यह कोशिस आपको कैसी लगी है मुझे अपने कमेंट के जरिए जरुर बताइएगा | अगर अपनी रचना को प्रदर्शित करने में मुझसे शब्दों में कोई त्रुटि हो गई हो तो तहे दिल से माफी चाहूंगा | एक नई रचना के साथ मैं जल्द ही आपसे रूबरू होऊंगा | तब तक के लिए अपना ख्याल रखें , अपने चाहने वालों का ख्याल रखें | मेरी इस रचना को पढ़ने के लिए आपका बहुत-बहुत शुक्रिया | नमस्कार |

कविता, एक चाहत नए साल में हम मिले

     नमस्कार , मेरी अब तक की कविताओं में ये कविता कुछ अलग से मिजाज की हुई है | मै तहे दिल से चाहता हूँ के आप मेरी इस लघु रचना को प्रोत्साहित करने की कोशिश करें |

एक चाहत , नए साल में हम मिले

प्यासे को पानी
                    मिले
भूखे को रोटी का स्वाद
                    मिले
चांद को सूरज
                    मिले
आसमान को जमीन
                    मिले
यह दुआ है हमारे दिल
                    मिले
इस नए साल में हम 
                    मिले

    मेरी कविता के रूप में एक और छोटी सी यह कोशिस आपको कैसी लगी है मुझे अपने कमेंट के जरिए जरुर बताइएगा | अगर अपनी रचना को प्रदर्शित करने में मुझसे शब्दों में कोई त्रुटि हो गई हो तो तहे दिल से माफी चाहूंगा | एक नई रचना के साथ मैं जल्द ही आपसे रूबरू होऊंगा | तब तक के लिए अपना ख्याल रखें , अपने चाहने वालों का ख्याल रखें | मेरी इस रचना को पढ़ने के लिए आपका बहुत-बहुत शुक्रिया | नमस्कार |

कविता, नई उम्मीदें नई आदतें सीखो

    नमस्कार , दिसंबर 2012 की रचनाओं की अगली कड़ी में एक कविता सुनाना चाहता हूँ | कविता कैसी रही मुझे जरूर बताइएगा |

नई उम्मीदें नई आदतें सीखो

पलकों में नए सपने
सजाकर रखना सीखो
अरमानों को कुचल
दर्द भुला कर चलना सीखो
जीवन पथरीली डगर है
जख्मों को सहलाना सीखो

चार कदम चले हो
थक गए क्या
इस थकन को भुलाना सीखो
क्या हुआ अगर
मुश्किलें हैं , बहुत
पर गिरकर संभालना सीखो

तिल तिल कर क्यों मरोगे
अपराध के खिलाफ तुम लड़ना सीखो
क्या कहा तुमने की
सुनता नहीं जमाना
तो तुम भी जमाने में
जोर से कहना सीखो

भूल गए वह दिन जब
लोग तुम पर हंसते थे
अब तुम भी उन पर हंसना सीखो
गुमसुम से हो क्यों
दर्द हुआ था क्या
अब तुम भी ठोकरों को दर्द देना सीखो

मिलती नहीं है नदियां
अब जाकर सागर में
अब तुम भी अलग रहना सीखो
क्या कहा उसने तुम्हें
तुम कायर हो , तुम बुजदिल हो
तुम बुजदिल नहीं हो पलट कर कहना सीखो

     मेरी कविता के रूप में एक और छोटी सी यह कोशिस आपको कैसी लगी है मुझे अपने कमेंट के जरिए जरुर बताइएगा | अगर अपनी रचना को प्रदर्शित करने में मुझसे शब्दों में कोई त्रुटि हो गई हो तो तहे दिल से माफी चाहूंगा | एक नई रचना के साथ मैं जल्द ही आपसे रूबरू होऊंगा | तब तक के लिए अपना ख्याल रखें , अपने चाहने वालों का ख्याल रखें | मेरी इस रचना को पढ़ने के लिए आपका बहुत-बहुत शुक्रिया | नमस्कार |

कविता, सौगात नए साल की

    नमस्कार , 2018 के दिसंबर महीने के इस आखिरी सप्ताह में मै मेरे द्वारा दिसंबर 2012 में लिखित 10 रचनाएं प्रकाशित कर रहा हूं |

    रचनाओं की इस कड़ी में मै सर्व प्रथम एक कविता आपके मयार के लिए हाजिर कर रहा हूं | मुझे आपके प्यार की ख्वाहिश है |

सौगात नए साल की

चांद की चांदनी
सूरज की किरणें
सांझ का सवेरा
सागर की लहरें
यह रीत है जहान की
आपसे मिलना
फिर दिलों का मिलना
सपनों का सजना
फूलों का खिलना
यह सौगात है
नए साल की

     मेरी कविता के रूप में एक और छोटी सी यह कोशिस आपको कैसी लगी है मुझे अपने कमेंट के जरिए जरुर बताइएगा | अगर अपनी रचना को प्रदर्शित करने में मुझसे शब्दों में कोई त्रुटि हो गई हो तो तहे दिल से माफी चाहूंगा | एक नई रचना के साथ मैं जल्द ही आपसे रूबरू होऊंगा | तब तक के लिए अपना ख्याल रखें , अपने चाहने वालों का ख्याल रखें | मेरी इस रचना को पढ़ने के लिए आपका बहुत-बहुत शुक्रिया | नमस्कार |

रविवार, 9 दिसंबर 2018

कविता, आगे इंसानों की बस्ती है

    नमस्कार , महानगरों में हमारे शहरों में जिस तरह से मानवता, आपसी सहयोग एवं भाईचारे का हास हो रहा है उसे देखते हुए तकिबन तिन बरस पहले लिखी मेरी एक कविता याद आती है { आज अचानक ये कविता आपको सुनाने की वजह अखबार में छपी एक खबर है जिसमें बताया गया है के एक सड़क दुर्घटना होने के बाद वहा पर उपस्थित लोगों ने घायलों की मदद करने की जगह उनका विडियो बनाना मुनासिब समझा |

आगे इंसानो की बस्ती है

यहां यहां तो लोग किसी की लाचारी का तमाशा देखते हैं
सब सुनते हे मगर फिर भी खामोश रहते हैं
किसी की चीख सुनकर भी इनके दिल नहीं  पसीजते
दर्द देने सहने की आदत है इन्हें
जहां हर रोज एक  मासूम दर्द से चीखती है
                    यह मुर्दों का शहर है
                    आगे इंसानों की बस्ती है

कोई किसी का नहीं है यहां सब स्वार्थ में अंधे हैं
किसी का काला दिल है तो किसी के काले धंधे हैं
रिश्तो को सब भूल गए हैं भूल गए सब भाई चारा
कौन सा खुदा इन्हें बताएगा
प्रेम हे धर्म तुम्हारा
मत मिटाओ इंसानियत को
मगर हर गली-मोहल्लों मे जिंदगी यहां तड़पती है
                     यह मुर्दों का शहर है
                     आगे इंसानों की बस्ती है

क्या हुआ अगर  तुमने लोगों को हंसता देख लिया
किसी मंदिर में कोई जलता दिया देख लिया
इसका मतलब यह नहीं  यहां खुशियां  मुस्कुराती हैं
यह तो एक छलावा है
असल में यह नफरत की आग धधकती है
                       यह तो मुर्दों का शहर है
                       आगे इंसानों की बस्ती है

    मेरी कविता के रूप में एक और छोटी सी यह कोशिस आपको कैसी लगी है मुझे अपने कमेंट के जरिए जरुर बताइएगा | अगर अपनी रचना को प्रदर्शित करने में मुझसे शब्दों में कोई त्रुटि हो गई हो तो तहे दिल से माफी चाहूंगा | एक नई रचना के साथ मैं जल्द ही आपसे रूबरू होऊंगा | तब तक के लिए अपना ख्याल रखें , अपने चाहने वालों का ख्याल रखें | मेरी इस रचना को पढ़ने के लिए आपका बहुत-बहुत शुक्रिया | नमस्कार |

नज्म, कौन लिखता है मेरी किस्मत

   नमस्कार , मेरे अवसाद से भरे मन की उपज ये नज्म जिसे मै आज आपके दयार में आपके हवाले करता हूं |

कौन लिखता है मेरी किस्मत

कौन लिखता है मेरी किस्मत
जरा उसका नाम बता दो
एक बार मैं उससे पूछना चाहता हूं
आखिर तुम यह राज बता दो
क्या खता मुझसे हुई थी
कहां और कब हुई थी
जो तुमने इतनी तकलीफ है लिखी
इतनी ठोकरों का फरमान सुनाया
यह दशा हो गई है मेरी
कि अब नहीं होता यकीन यकीन पर भी
कांपते हैं पांव मेरे जमीन पर भी
न जाने कहां से तेरा लिखा कोई पत्थर आए
और मुझे झकझोर कर फिर
गम की कोई वजह दे जाए
मैं पूछना चाहता हूं तुझसे
आखिर कौन लिखता है मेरी किस्मत
जरा उसका नाम बता दो
एक बार मैं उससे पूछना चाहता हूं

    मेरी नज्म के रूप में एक और छोटी सी यह कोशिस आपको कैसी लगी है मुझे अपने कमेंट के जरिए जरुर बताइएगा | अगर अपनी रचना को प्रदर्शित करने में मुझसे शब्दों में कोई त्रुटि हो गई हो तो तहे दिल से माफी चाहूंगा | एक नई रचना के साथ मैं जल्द ही आपसे रूबरू होऊंगा | तब तक के लिए अपना ख्याल रखें , अपने चाहने वालों का ख्याल रखें | मेरी इस रचना को पढ़ने के लिए आपका बहुत-बहुत शुक्रिया | नमस्कार |

ग़ज़ल, अगर

नमस्कार , एक बेहद पुरानी गजल मेरी जिसे लिखे हुए तिन साल से भी ज्यादा का वक्त हो गया आज आपके दयार के हवाले कर रहा हूं |

खुशियों का नहीं गमों का उंगलियों पर हिसाब रखते हो, अगर
आपका साथ चाहूंगा मुझसे इत्तेफाक रखते हो, अगर

दलदली जमीन पर पांव जमाने का प्रयास करते हो, अगर
गिर कर संभल जाते हो उठने का प्रयास करते हो,अगर

भीड़ में भी तुम्हारी बात गूंजेगी
बादलों के गर्जन सी दमदार आवाज रखते हो ,अगर

शक के दायरे में आना तुम्हारा लाजमी है
रुख पर किसी तरह का नकाब रखते हो ,अगर

फिर सारी दुनिया  की तकलीफै तुम्हारे लिए कुछ भी नहीं
दिल में ज्ञान का अथाह प्रकाश रखते हो, अगर

मैं जानता हूं कि तुम मेरे आने का स्वागत करोगे
मन में जरा भी दोस्ताना मिजाज रखते हो ,अगर

    मेरी गजल के रूप में एक और छोटी सी यह कोशिस आपको कैसी लगी है मुझे अपने कमेंट के जरिए जरुर बताइएगा | अगर अपनी रचना को प्रदर्शित करने में मुझसे शब्दों में कोई त्रुटि हो गई हो तो तहे दिल से माफी चाहूंगा | एक नई रचना के साथ मैं जल्द ही आपसे रूबरू होऊंगा | तब तक के लिए अपना ख्याल रखें , अपने चाहने वालों का ख्याल रखें | मेरी इस रचना को पढ़ने के लिए आपका बहुत-बहुत शुक्रिया | नमस्कार |

शनिवार, 8 दिसंबर 2018

हाइकु, मोहब्ब

   नमस्कार , जापानी कविता की यह विधा जिसमे तिन पंक्तियों की प्रधानता होती है बेहद सरल और मजेदार और पढ़ने एवं समझने में आसान है | प्यार को केन्द्र में रखकर मैने एक हाइकु लिखी है जिसे मैं आपके सम्मुख प्रस्तुत कर रहा हूं -

मोहब्बत

यह एक शब्द
दो दिल की भावनाएं
खुशी

एक एक करके
दो जीवन
एक रास्ता

एक मंजिल
क्रमशः

दो जिस्म
दो सास
दो दिल

एक धड़कन
एक जीना मरना और
यह एक शब्द

मोहब्ब कहो
प्यार कहो या
चाहत कहो

    मेरी हाइकु के रूप में एक और छोटी सी यह कोशिस आपको कैसी लगी है मुझे अपने कमेंट के जरिए जरुर बताइएगा | अगर अपनी रचना को प्रदर्शित करने में मुझसे शब्दों में कोई त्रुटि हो गई हो तो तहे दिल से माफी चाहूंगा | एक नई रचना के साथ मैं जल्द ही आपसे रूबरू होऊंगा | तब तक के लिए अपना ख्याल रखें , अपने चाहने वालों का ख्याल रखें | मेरी इस रचना को पढ़ने के लिए आपका बहुत-बहुत शुक्रिया | नमस्कार |

हास्य कविता, जंगल का रास्ता

   नमस्कार , जंगल का रास्ता एक थोड़े से डरावने माहौल को जन्म देती हुई नजर आती है |मेरी ये तकरीबन दो बरस पहले लिखी हास्य व्यंग कविता आपको कितना डराती है या हसाती तो मुझे जरूर बताइएगा |

जंगल का रास्ता

सुनसान अंधेरे में
काली अमावस की रात
पत्तों का सरसाराना
चमगादड़ों का फड़फड़ाना
उल्लू की आवाज
निशाचरों की खटपट
चारों ओर सन्नाटा
मच्छरों का गुनगुनाना
बिल्ली की म्याऊं म्याऊं
हवा के झोंकों से पेड़ों का लहराना
घबराते , सकपकाते
एक एक कदम बढ़ाता
फिर यह सोच कर डर जाता
जाने किधर से क्या आ जाए
एक आहट होते ही
होश हो गए फाकता
जंगल का रास्ता
एकदम ऐसा ही है
जिंदगी का रास्ता

    मेरी हास्य व्यंग कविता के रूप में एक और छोटी सी यह कोशिस आपको कैसी लगी है मुझे अपने कमेंट के जरिए जरुर बताइएगा | अगर अपनी रचना को प्रदर्शित करने में मुझसे शब्दों में कोई त्रुटि हो गई हो तो तहे दिल से माफी चाहूंगा | एक नई रचना के साथ मैं जल्द ही आपसे रूबरू होऊंगा | तब तक के लिए अपना ख्याल रखें , अपने चाहने वालों का ख्याल रखें | मेरी इस रचना को पढ़ने के लिए आपका बहुत-बहुत शुक्रिया | नमस्कार |

कविता, जब मैं इसआंगन में आई थी

नमस्कार , नारी दुनिया में उपस्थित हर भावना का केन्द्र होती है | नारी मन की एक कोमल भावना से भरी ये कविता जिसे लिख लेने के बाद मै स्वयं आश्चर्यचकित था के ये भावना मेरे मन में कैसे आई , फिर लगा के ये उस भगवान का आशीर्वाद है जो मैने लिखा है | एक नव युवती जिसका विवाह होने वाला हो और वह विवाह के बाद आने वाली ज़िन्दगी को सोचकर व्याकुल हो तो उसकी मां के द्वारा कि गई समझाने की कोशिश इस कविता की विषय है | मां बेटी को समझाते हुए कुछ यू कहती है की -

जब मैं इस आंगन में आई थी

जब मैं इस आंगन में आई थी
तो खूब रोई थी 

सोचा था यह कहा आ गई मैं
पराए देश में ,अनजाने घर में
अजनबी लोगों के बीच
मुंह में सिसकियां ,आंखों में आंसू ,दिल में डर था
मन में बस एक ही सवाल था
मां-बाबा आपने मुझे पराया क्यों किया
इसलिए कि मैं बेटी थी

सुबह से दोपहर ,दोपहर से जब शाम हुई
मैं थोड़ा शरमाई ,थोड़ा घबराई
और शाम से सुहानी सुबह हुई
एक ऐसा जीवनसाथी मिला जिसके संग चलते-चलते जिंदगी अब आसान हुई
माा  सा  प्यार सासूमां से मिला
बाबा का दुलार ससुरजी ने दिया
और छोटी ननद मेरी सहेली थी

इस परिवार से मिली तो जाना
ना यह देश पराया था ,ना यह घर अनजाना था
ना यह  लोग अजनबी थे
यह तो मेरा घर था जिससे मैं अनजानी थी
मैं अधूरी थी इस घर के बिना
यह जान मैंने मां-बाबा का शुक्रिया किया
आपने मुझे मेरा घर दिया
अब मैं इन्हीं रिश्ते में खोई थी

जब मैं इस आंगन में आई थी
तो खूब रोई थी 

    मेरी कविता के रूप में एक और छोटी सी यह कोशिस आपको कैसी लगी है मुझे अपने कमेंट के जरिए जरुर बताइएगा | अगर अपनी रचना को प्रदर्शित करने में मुझसे शब्दों में कोई त्रुटि हो गई हो तो तहे दिल से माफी चाहूंगा | एक नई रचना के साथ मैं जल्द ही आपसे रूबरू होऊंगा | तब तक के लिए अपना ख्याल रखें , अपने चाहने वालों का ख्याल रखें | मेरी इस रचना को पढ़ने के लिए आपका बहुत-बहुत शुक्रिया | नमस्कार |

नवगीत, मै क्या कहके बुलाऊं तुझे

    नमस्कार , नवगीत की यही खासियत होती है कि उसमे नवीन और विभिन्न तरह के प्रतीकों का प्रयोग होता है | आज से तिन चार दिन पहले मै ने एक नवगीत लिखी है जिसे मैं आपके सम्मुख प्रस्तुत कर रहा हूं , आपके अपनाव की चाहत है | यह नवगीत मोहब्बत के एक छोटे से मगर बेहद खूबसूरत और महत्वपूर्ण एहसास और सवाल पर आधारित है |

अप्सरा कहूं या कोई परी
या कहूं गुलाब खुशबू भरी
महताब कह दूं रातों की या
या कह दूं तुझे महजबी
मैं कैसे मोहब्बत जताऊं तुझे
मैं क्या कहके बुलाऊं तुझे

तेरी रूह मुझ में समाए ऐसे
जैसे नदियां मिलती है सागर में
तेरा मेरा मिलना हो ऐसे
जैसे सुखी नदियां भरती है बरसते बादल से
मुझ पर मोहब्बत का साया कर ऐसे
जैसे खुद को तू ढकती है आंचल से
मैं कैसे चाहत बताऊं तुझे
मैं क्या कहके बुलाऊं तुझे

तुझको अपना शिवाला माना
प्यार का ईश्वर तुझको जाना
गीता का ज्ञान तुझको जाना
कुबेर का तुम सारा खजाना
जमाना कहे मुझको दीवाना
दिल चाहे तुझको अपना बनाना
मैं कैसे प्यार दिखाऊं तुझे
मैं क्या कहके बुलाऊं तुझे

    मेरी नवगीत के रूप में एक और छोटी सी यह कोशिस आपको कैसी लगी है मुझे अपने कमेंट के जरिए जरुर बताइएगा | अगर अपनी रचना को प्रदर्शित करने में मुझसे शब्दों में कोई त्रुटि हो गई हो तो तहे दिल से माफी चाहूंगा | एक नई रचना के साथ मैं जल्द ही आपसे रूबरू होऊंगा | तब तक के लिए अपना ख्याल रखें , अपने चाहने वालों का ख्याल रखें | मेरी इस रचना को पढ़ने के लिए आपका बहुत-बहुत शुक्रिया | नमस्कार |

कविता, हम दुआ मांगते हैं

नमस्कार , एक अज्ञानी मन जो मृत्यु लोक के सच से अंजाम है अपने किसी प्रिय के जाने के गम में शोकाकुल है कुछ यू कहता है

हमसे सदा के लिए दूर हुए अपने प्रिय जनों के लिए

हे पंचतत्वों के जन्मदाता
हे जीवो के आहार दाता
हे जगत के भाग्य विधाता
हे मां गंगा
हे शुन्य लोक
हे आदी , हे अनंत
हे अनवरत चलते समय चक्र
हम आपसे हमसे सदा के लिए दूर हुए
अपने प्रिय जनों के लिए
मोक्ष चाहते हैं
हम दुआ मांगते हैं
चलो दुआ मांगते हैं

    मेरी कविता के रूप में एक और छोटी सी यह कोशिस आपको कैसी लगी है मुझे अपने कमेंट के जरिए जरुर बताइएगा | अगर अपनी रचना को प्रदर्शित करने में मुझसे शब्दों में कोई त्रुटि हो गई हो तो तहे दिल से माफी चाहूंगा | एक नई रचना के साथ मैं जल्द ही आपसे रूबरू होऊंगा | तब तक के लिए अपना ख्याल रखें , अपने चाहने वालों का ख्याल रखें | मेरी इस रचना को पढ़ने के लिए आपका बहुत-बहुत शुक्रिया | नमस्कार |

ग़ज़ल, उस चेहरे को गुलाब कैसे ना कहूं

नमस्कार , एक गजल पेश ए ख़िदमत है आपकी | ये गजल कुछ महीनों से नही हो पा रही थी आज हो गई तो ख्याल आया के सुना दुं |

उस चेहरे को गुलाब कैसे ना कहूं
मैं शराब को शराब कैसे ना कहूं

नूर उनका चांद जैसा है
मैं आबताब को आबताब कैसे ना कहूं

ये तुम्हारा सच है तुम्हें ना यकीन हो तो ना हो
मैं महताब को महताब कैसे ना कहूं

हुनरमंद शख्स है झूठ बेहतर बोलता है
मैं लाजवाब को लाजवाब कैसे ना कहूं

बुजुर्गों की शागिर्दी करो इसी में बेहतरी है
मैं किताब को किताब कैसे ना कहूं

कुछ लोग कहते हैं तनहा सच कहने का आदी है
मै ख़िताब को ख़िताब कैसे ना कहूं

    मेरी गजल के रूप में एक और छोटी सी यह कोशिस आपको कैसी लगी है मुझे अपने कमेंट के जरिए जरुर बताइएगा | अगर अपनी रचना को प्रदर्शित करने में मुझसे शब्दों में कोई त्रुटि हो गई हो तो तहे दिल से माफी चाहूंगा | एक नई रचना के साथ मैं जल्द ही आपसे रूबरू होऊंगा | तब तक के लिए अपना ख्याल रखें , अपने चाहने वालों का ख्याल रखें | मेरी इस रचना को पढ़ने के लिए आपका बहुत-बहुत शुक्रिया | नमस्कार |

चौपाई, भगवान राम और माता सीता विवाह का चित्रण

   नमस्कार , मै जानता हूं के मै जो मेरी रचना आज आपकी उपस्थिति में आपके सामने रखने जा रहा हूं इस तरह कि रचनाएं करने के लिए मै और मेरी कलम अभी परिपक्व नही हूं मगर मै भगवान प्रभु  श्री राम से बहोत अधिक प्रभावित हूं और मेरा मन श्री राम के सादर चरणों में समर्पित होते हुए कुछ लिखने को आतुर होता है यही वजह है के मैने भगवान राम और माता सीता विवाह का चित्रण मेरी कुछ टुटी फूटी चौपाईयों मे करने का अंस मात्र प्रयास किया है -

सितारों भरी थी आज की रात
अवध से आई थी बारात

मानवता में व्याप्त सारे अंधेरे
दूर कर गए सियाराम के सातों फेरे

खुशियों की नई कलियां खिली
सीता को राम राम को सीता मिली

प्रकृति हर्षित थी नए दांपत्य के आगाज से
फूलों की वर्षा हो रही थी आकाश से

आज नतमस्तक चारों धाम हुए
श्री राम सियापति राम हुए

मधुर मनोहर मनमोहक क्षण बीता
राम की अर्धांगिनी हुई मिथिला की सीता

    मेरी चौपाई के रूप में एक और छोटी सी यह कोशिस आपको कैसी लगी है मुझे अपने कमेंट के जरिए जरुर बताइएगा | अगर अपनी रचना को प्रदर्शित करने में मुझसे शब्दों में कोई त्रुटि हो गई हो तो तहे दिल से माफी चाहूंगा | एक नई रचना के साथ मैं जल्द ही आपसे रूबरू होऊंगा | तब तक के लिए अपना ख्याल रखें , अपने चाहने वालों का ख्याल रखें | मेरी इस रचना को पढ़ने के लिए आपका बहुत-बहुत शुक्रिया | नमस्कार |

मुक्त छंद , बांसुरी

    नमस्कार , हर बंधन से मुक्त हो जाना इससे बेहतर मुझे नही लगता के कुछ हो सकता है | मुक्त छंद की इस कड़ी में मै आपके दयार में मेरा कुछ दिनों पहले लिखा एक मुक्त छंद लेकर आया हूं | छंद यू हुआ के -

एक हाथ के बांस में
फुकने पर एक लय में
स्वर निकलते मधुरी
सातों सुरों से सजी
कान्हा की बांसुरी

     मेरी मुक्त छंद के रूप में एक और छोटी सी यह कोशिस आपको कैसी लगी है मुझे अपने कमेंट के जरिए जरुर बताइएगा | अगर अपनी रचना को प्रदर्शित करने में मुझसे शब्दों में कोई त्रुटि हो गई हो तो तहे दिल से माफी चाहूंगा | एक नई रचना के साथ मैं जल्द ही आपसे रूबरू होऊंगा | तब तक के लिए अपना ख्याल रखें , अपने चाहने वालों का ख्याल रखें | मेरी इस रचना को पढ़ने के लिए आपका बहुत-बहुत शुक्रिया | नमस्कार |

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