बुधवार, 21 अगस्त 2019

ग़ज़ल, कुछ नहीं बना पाया मैं

    नमस्कार, उर्दू साहित्य की गजल एक मात्र ऐसी विधा है जो बहुतायत मात्रा में हिन्दी में लिखी पढ़ी एवं सुनी जाती रही है और बहुत कामयाब रही है |आइए यहां मै अपनी हाल ही के कुछ दिनों में लिखी मेरी एक नयी गजल यहा लिख रहा हूँ मुझे विश्वास है कि आपको पसंद आएगी

राज करें कई पुस्ते ऐसा कुछ नहीं बना पाया मैं
न जर न जमीन न पैसा कुछ नही बना पाया मै

इनके उनके जैसे तो कई चेहरे बना लिए मैने
मगर तेरे जैसा कुछ नही बना पाया मै

खुद में खुद को मिटाने की कई कोशिशे की मैने
पर जैसा तू चाहती है वैसा कुछ नही बना पाया मैं

मैने कई लफ्जों से एक तस्वीर बनाई है उसकी
तनहा अब तुम देखो कैसा कुछ नही बना पाया मै

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      इस गजल को लिखते वक्त अगर शब्दो में या टाइपिंग में मुझसे कोई गलती हो गई हो तो उसके लिए मै बेहद माफी चाहूंगा | मै जल्दी ही एक नई रचना आपके सम्मुख प्रस्तुत करूंगा | तब तक अपना ख्याल रखें अपनों का ख्याल रखें , नमस्कार |

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