गुरुवार, 22 अगस्त 2019

मुक्तक, चार चार लाइनों में बातें करूंगा आपसे 9

  नमस्कार, चार चार लाइनों में बातें करूंगा आपसे मुक्तको की इस श्रेणी में आज मै आपको पिछले एक महीने के दरमियान में लिखे मेरे कुछ मुक्तक यहां सुना रहा हूँ

थोडा थोडा हर किसी के नाम करना है मुझे
अपनों की खुशी का इंतजाम करना है मुझे
मुझे प्यार करना हो तो जरा जल्दी आओ
नही तो फिर बहोत काम करना है मुझे

सोचता है के खून बहाने का इल्जाम नहीं आएगा
गुनहगारों की फ़ेहरिस्त में तेरा नाम नहीं आएगा
ये जो तू रो रहा है दुनिया को दिखाने के लिए
तेरा ये हथकंडा भी तेरे काम नहीं आएगा

अल्लाह का वास्ता और रब के नाम पर
ये सारी शायरी है तेरी तेरे मतलब के नाम पर
सियासत ने सिखाई है ये पैंतरेबाजी तुझको
और कितना भड़काओगे इन्हें मजहब के नाम पर

मोहरे और खानदान का रिश्ता बेमेल देखा है
चारा , कोयला , 2जी , 3जी आदि घोटालो का रेलमरेल देखा है
अबकी सरकार का काम सारे देश को दिखाई दे रहा है
वरना हमने दस सालों तक कठपुतली का खेल देखा है

घनी रात के बाद सहर होने में वक्त लगेगा
जहर को पुरा बेअसर होने में वक्त लगेगा
सत्तर साल पुरानी बिमारी का इलाज हुआ है
दवा का असर होने में थोडा वक्त लगेगा

किसी ने कहा लाचार बेचारा हूं मैं
कोई कहता है नाकाम आवारा हूं मैं
दुनियावालों अब तुम्हें क्या बताउं रंजो गम अपने
बस इसी पीने की लत का मारा हूं मैं

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      इस मुक्तक को लिखते वक्त अगर शब्दो में या टाइपिंग में मुझसे कोई गलती हो गई हो तो उसके लिए मै बेहद माफी चाहूंगा | मै जल्दी ही एक नई रचना आपके सम्मुख प्रस्तुत करूंगा | तब तक अपना ख्याल रखें अपनों का ख्याल रखें , नमस्कार |

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