नमस्कार , हमारे भारत की एक ओजस्वी राजनेता और एक बहुमुखी प्रतिभा की धनी श्रीमती सुषमा स्वराज जी का निधन भारतीय राजनीति की एक ऐसी हानि है जिसका पुर्ण होना संभव नही है | दिल्ली की पहली महिला मुख्यमंत्री को एक सांसद और पूर्व विदेश मंत्री के तौर पर उनके भाषणों और इंटरव्यूस के माध्यम से मैने अब तक उन्हें जितना जान पाया है वह मुझे हमेशा प्रेरित करता रहा है |
उनके व्यक्तित्व से प्रेरित प्रभावित एवं मार्गदर्शीत होकर आज मेरे मन में अनायास ही एक कविता उपजी है जो मै यहां श्रद्धांजलि स्वल्प यहां लिख रहा हूँ |
वो कड़ी धूप में चलने वाली थी
वो कड़ी धूप में चलने वाली थी
वो विपत्ती के हालात बदलने वाली थी
आंगन के सारे दीपक उसके दोस्त थे
और अंधेरे उसके दुश्मन थे
वो अंधेरों सेे डटकर लड़ने वाली थी
वो कड़ी धूप में चलने वाली थी
वो कहती थी हम ये सत्य की जंग जीतेंगे
एक न एक दिन ये दुख के दिन बीतेंगे
वो जन नायिका वो मन नायिका
वो राष्ट की सच्ची सेविका
वो राष्ट्रहित मे जीने मरने वाली थी
वो कड़ी धूप में चलने वाली थी
वो अटल निश्चय करने वाली थी
वो निडर मुखर वक्तव्य बोलने वाली थी
सभी जिम्मेदारीयों को स्वीकारा
वो सूरज की तरह चमकती रहने वाली थी
वो कड़ी धूप में चलने वाली थी
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इन कविता को लिखते वक्त अगर शब्दो में या टाइपिंग में मुझसे कोई गलती हो गई हो तो उसके लिए मै बेहद माफी चाहूंगा | मै जल्दी ही एक नई रचना आपके सम्मुख प्रस्तुत करूंगा | तब तक अपना ख्याल रखें अपनों का ख्याल रखें , नमस्कार |
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