बुधवार, 7 अगस्त 2019

नज्म, ये सावन अच्छा नही लग रहा है मुझे

    नमस्कार, सावन के इस महीने में टप टप गिरती हुई बरसात की बूंदों को देखते हुए अपने घर या किसी चाय की टपरी के नीचे बैठकर चाय पीने या भुट्टे खाने का आनंद ही मन को गुदगुदा देने वाला है | इसी तरह के एक दिन में मरे मन में एक नज्म ने जन्म लिया उसका कुछ टूटा फूटा हिस्सा आपसे साझा कर रहा हूँ

एक बात बताऊं तुम्हें
ये सावन अच्छा नही लग रहा है मुझे

पिछले साल का सावन कितना खुसूसि था
जब हम दोनों एक शहर में थे
भले हम कभी एक साथ नही रहे
मगर हम आस पास तो थे
मगर अब नजाने कहां हो तुम
और इस जाने पहचाने अपने शहर में हूं मैं
पर फिर भी
ये सावन अच्छा नही लग रहा है मुझे

जाने क्यों एहसास आहत हुए हैं
ये बरसात की ठंडक अब राहत नहीं देती मुझे
एक तनहा सी खामोशी है
दिल और जहन के दरमिया
सब कुछ है कोई कमी नही
मगर फिर भी
ये सावन अच्छा नही लग रहा है मुझे

शायद तुम्हें ये एहसास न सताते हो
या शायद तुम्हें भी

पर
ये सावन अच्छा नही लग रहा है मुझे

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