सोमवार, 12 अगस्त 2019

ग़ज़ल, वो सब का सब मेरा छोड़ा हुआ है

     नमस्कार, गजलों के इस क्रमागत संयोजन में एक और नयी गजल का एक मतला और कुछ शेर यू देखें कहा है कि

इस कदर दर्दीला इश्क़ मेरा हुआ है
जैसे मेरी नाक पर कोई फोड़ा हुआ है

मेरे रकीब आज जितना भी तेरे नसीब में आया है
वो सब का सब मेरा छोड़ा हुआ है

आज जिसे तू अपना कहकर खुश होता है
वो जमीन का टुकडा मेरे जिस्म से तोड़ा हुआ है

दुश्मन मेरे जिसे तू अपना रहनुमा समझता है
वो हमारा मुजरिम है हमने अपने घर से खदेड़ा हुआ है

जाे पानी पीकर तू हमे मिटा देने की बचकानी बात करता है
तो तू ये याद रख हमने हिस्से का दरिया तेरी तरफ मोड़ा हुआ है

जो तुम ये पूछते हो के इतना गमगीन होकर भी तनहा खुश कैसे रहते हो
तो हमने अपने दिल का रिश्ता कुछ खुशनुमा लोगो से जोड़ा हुआ है

     मेरी ये गजल अगर अपको पसंद आई है तो आप मेरे ब्लॉग को फॉलो करें और अब आप अपनी राय बीना अपना जीमेल या जीप्लप अकाउंट उपयोग किए भी बेनामी के रूप में कमेंट्र कर सकते हैं | आप मेरे ब्लॉग को ईमेल के द्वारा भी फॉलो कर सकते हैं |

      इस गजल को लिखते वक्त अगर शब्दो में या टाइपिंग में मुझसे कोई गलती हो गई हो तो उसके लिए मै बेहद माफी चाहूंगा | मै जल्दी ही एक नई रचना आपके सम्मुख प्रस्तुत करूंगा | तब तक अपना ख्याल रखें अपनों का ख्याल रखें , नमस्कार |

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

Trending Posts