शनिवार, 10 अगस्त 2019

गजल, मुझे मेरी कमीयों के साथ प्यार कर तो जानू

    नमस्कार, एक नयी नयी गजल का एक मतला और दो तीन शेर यू देखे के

तू कुछ मुख्तलिफ रास्ता इख्तियार कर तो जानू
मुझे मेरी कमीयो के साथ प्यार कर तो जानू

घडी दो घडी तो हर कोई हर किसी का कर लेता है
तू सारी उम्र किसी का इंतजार कर तो जानू

निगाहों के इशारे तो अदब वालों की शिनाख़्त नही
तू महफिल में ज़ुबान से इकरार कर तो जानू

कभी तू उसे मोहब्बत का खुदा भी कहता है कभी बेवफा भी कहता है
तू उसकी हर बात का एतबार कर तो जानू

सियारों के चीखने से बब्बर शेर नही डर जाते
हमसे जंग करनी है ना तुझे तो आर पार कर तो जानू

सब्ज जमीन पर सजरकारी करना कोई करिश्माई बात नही
किसी बंजर जमीन को गुलजार कर तो जानु

तजुर्बा लेकर तो कोई ऐरा गैरा भी कर सकता है
तनहा
तू पहली दफा में उफनती दरिया पार कर तो जानू

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      इस गजल को लिखते वक्त अगर शब्दो में या टाइपिंग में मुझसे कोई गलती हो गई हो तो उसके लिए मै बेहद माफी चाहूंगा | मै जल्दी ही एक नई रचना आपके सम्मुख प्रस्तुत करूंगा | तब तक अपना ख्याल रखें अपनों का ख्याल रखें , नमस्कार |

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