नमस्कार , मेरी ये एक और छोटी सी नज्म जिसे मै आज आपके समक्ष सर्वप्रथम रख रहा हूं और चाहता हूं की आप इसे भी अपना थोड़ा सा वक्त देकर पढ़े | ये नज्म भी मैने दिसंबर 2012 में लिखी थी, इसलिए इसमें मेरी लेखनी छोटी एवं अनुभव रहित लग सकती है |
चाहतें यही हैं मैं आपको चाहता हूं
खिदमत में आपके अर्ज करता हूं
चाहतें यही हैं मैं आपको चाहता हूं
चाहतें यही हैं मैं आपको चाहता हूं
चांदी जैसे नही सोने जैसा आपका मुखड़ा है
मैं मुखड़े पर नहीं आपकी अदाओं पर मरता हूं
मैं मुखड़े पर नहीं आपकी अदाओं पर मरता हूं
इंकार की कोई सूरत तो नहीं मगर फिर भी परखता हूं
मैं आपके जवाब से नहीं आप की बेवफाई से डरता हूं
मैं आपके जवाब से नहीं आप की बेवफाई से डरता हूं
चाहे कुछ भी नहीं मिला फिर भी हिचकता नही मै
बस ऐसे ही बेइंतहा मोहब्बत को तरसता हूं
बस ऐसे ही बेइंतहा मोहब्बत को तरसता हूं
मेरी नज्म के रूप में एक और छोटी सी यह कोशिस आपको कैसी लगी है मुझे अपने कमेंट के जरिए जरुर बताइएगा | अगर अपनी रचना को प्रदर्शित करने में मुझसे शब्दों में कोई त्रुटि हो गई हो तो तहे दिल से माफी चाहूंगा | एक नई रचना के साथ मैं जल्द ही आपसे रूबरू होऊंगा | तब तक के लिए अपना ख्याल रखें , अपने चाहने वालों का ख्याल रखें | मेरी इस रचना को पढ़ने के लिए आपका बहुत-बहुत शुक्रिया | नमस्कार |
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