बुधवार, 2 जनवरी 2019

कविता, नया वर्ष , पुराना साल

     नमस्कार , इस कविता में मैने उन सभी सपनाें उम्मीदों के बारे में बात की है जो इस गुजरते हुए वर्ष मे पुर्ण नही हो पाई उन्हें मै नए साल के हवाले कर रहा हूं , मेरी यह कविता दिसंबर 2012 मे लिखित रचनाओं की आखरी कड़ी है |

नया वर्ष , पुराना साल

मैं और मेरे मन का ख्याल
यह नया वर्ष वह पुराण साल

यह एक बित्ता सतनाम
      वह उम्मीद की किरण
यह एक डूबता सूरज
      वह सुबह की ठंडी पवन
यह एक चमक चुकी चांदनी
      वह पूर्णिमा किसी रात
यह जिसमें बीत चुका यथार्थ
      वह आशाओं का उजला प्रभात

मैं और मेरे मन का ख्याल
यह नया वर्ष वह पुराण साल

यह जिसमें टूट गया हर सपना
      वह नई ख्वाहिशों का आंगन अपना
यह जिसमें टूट गया हौसला
      वह जो देगा नया हौसला
यह एक सुना बीहड़
      वह जैसे पतझड़ का मौसम
यह जिसमें छुटी मंजिल
      वह जिसमें जीतेंगे हर दिल

मैं और मेरे मन का ख्याल
यह नया वर्ष वह पुराण साल
.
      मेरी कविता के रूप में एक और छोटी सी यह कोशिस आपको कैसी लगी है मुझे अपने कमेंट के जरिए जरुर बताइएगा | अगर अपनी रचना को प्रदर्शित करने में मुझसे शब्दों में कोई त्रुटि हो गई हो तो तहे दिल से माफी चाहूंगा | एक नई रचना के साथ मैं जल्द ही आपसे रूबरू होऊंगा | तब तक के लिए अपना ख्याल रखें , अपने चाहने वालों का ख्याल रखें | मेरी इस रचना को पढ़ने के लिए आपका बहुत-बहुत शुक्रिया | नमस्कार |

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