नमस्कार , गजल कुछ इस तरीके से भी लिखी जाती है | जैसा के मैने पहले के प्रकाशनों में बताया है मैने ये गजल 2012 के दिसंबर में लिखा था | आज आपके मिजाज को समझते हुए मै ये गजल प्रकाशित कर रहा हूं |
कल तलक के ख्यालों को
प्यार समझने की गलती होगी
जो हमारे कभी थे ही नहीं
उन्हें अपना समझना गलती होगी
प्यार समझने की गलती होगी
जो हमारे कभी थे ही नहीं
उन्हें अपना समझना गलती होगी
रेशमी जुल्फों वाली शरबती आंखो वाली
शादी की से भरी सितम होगी
चांद जैसे मुखड़े पर से आती
आकाश में नई रोशनी होगी
शादी की से भरी सितम होगी
चांद जैसे मुखड़े पर से आती
आकाश में नई रोशनी होगी
डर है तो सिर्फ इस दुनिया का
पर यहां परवानों को परवान चढ़ी होगी
मुशायरे की महफिल में बैठा था आज वह जाकर
वहां आज जरूर आशिकों में ग़ज़ल पढ़ी गई होगी
पर यहां परवानों को परवान चढ़ी होगी
मुशायरे की महफिल में बैठा था आज वह जाकर
वहां आज जरूर आशिकों में ग़ज़ल पढ़ी गई होगी
मेरी गजल के रूप में एक और छोटी सी यह कोशिस आपको कैसी लगी है मुझे अपने कमेंट के जरिए जरुर बताइएगा | अगर अपनी रचना को प्रदर्शित करने में मुझसे शब्दों में कोई त्रुटि हो गई हो तो तहे दिल से माफी चाहूंगा | एक नई रचना के साथ मैं जल्द ही आपसे रूबरू होऊंगा | तब तक के लिए अपना ख्याल रखें , अपने चाहने वालों का ख्याल रखें | मेरी इस रचना को पढ़ने के लिए आपका बहुत-बहुत शुक्रिया | नमस्कार |
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