नमस्कार , आठ नौ माह में मैने ट्वीटर पर जो कुछ भी ट्वीट किया है उसे यहां प्रकाशित कर रहा हूं |इसमें कुछ शेर हैं कुछ मुक्तक हैं और कुछ यू ही बस तुकबंदी हैं |
हमारी एक नही कईयो भूमीयों पर ढांचे हैं
हमे इसका इल्म नही है हम कितने अभागे हैं
मैं रोता हूं दर्द देखकर मासूमों का
अभी मेरी आंखों का पानी मरा नही है
यहां तो सब के सब अपने हैं
तनहा दिल की बात करें तो करें किससे
तुमको चाहते भी बहुत हैं मगर तुम्हें अपनाएंगे भी नही
तुमसे मोहब्बत भी बहुत है मगर तुम्हारे पास आएंगे भी नहीं
मेरी खामोशी से तंग आकर ये कहा उसने
अब तुम मुझसे कभी बात मत करना
ये किसने दिल तोड़ा है बादलों का
कुछ दिन से दिन रात रोए जा रहे हैं
ये तो सच है इसमें शक क्या है
गैर कि जान पर तुम्हारा हक क्या है
जिस दिन जाती हो जान करोडो़ मासूमों की
उस दिन में मुबारक क्या है
दर्द के इमान की तारीफ़ करों
ये सब को एक जैसा होता है
बस इसलिए जिस्म को बर्दाश्त कर रहा हूं
मेरी रुह का बहुत कर्जा है मुझ पर
कौन अपनी मर्जी से चाहेगा तनहा होना
मेरे नसीब ने यही तोहफ़ा दिया है मुझको
मैं इसी कोशिश मैं दिन रात आमादा हूं
बस एक बार ये दिल निकल जाएं तो मशीन हो जाउं
नजाने क्यों तनहा दिल मेरे पास भी है
जब सब पहले से तय है इसकी जरुरत क्या है
मेरी हयात पे हावी है मेरी क़ुदरती बनावट
ये मुझे चैन से कभी जीने नही देगी
मै एक हारा हुआ आदमी हूं तनहा
मगर दिखावा मै जीतने का कर्ता हूं
नौसिखिये तलवार दिखाकर डरा रहे है उनको
जिन योद्धाओं ने तनहा हजारों युद्ध जीते हैं
ये न समझना के दुश्मन सरदारों ने हराया है हमको
जब भी हराया है तो बस गद्दारों ने हराया है हमको
मेरी बातों से लाजिम है तेरा खफ़ा होना
मै तुझे खुश करने के लिए बातें नही करता
मसला ये है के सच कहता हूं मैं
झूठ बोलता तो लहजा बदल भी लेता
नयी फसलें उगाने का मौसम है
तुम नए फासले मत बढ़ाओ
यहां के धूप की रंगत बताती है
यहां की छाँव कितनी सस्ती है
ऐसे चिरागों को चिराग कहलाने का हक नही
जिसकी लौ से घर के घर जल जाए
समंदर ने बदला रास्ता अपना
एक दरिया जिद पर आगया था
सच ने डाल रखा है पल्लू माथे पर
जानता हैं दुनिया मक्कारों की है
ऐसा लगा मुझे जुगनू से मिलकर
जैसे मैं किसी दिवाने से मिला
ऐसा कोई मर्ज नही जिसका इलाज न हो
गलतफहमी तो पाली जाती है
आ तुझे दिल की तिजोरी में रखु तू मेरी मोहब्बत की पाई-पाई होजा
मै चटकुं तेरी चाहत में तू मेरी मोहब्बत में टूटकर राई-छाई होजा
तनहा घर के दरवाजे वही रहते हैं बस चिलमन बदलती रहती है
मै तेरा नेकी बदी हो जाउं तू मेरी अच्छाई बुराई होजा
रेगिस्तान के खेतों में चूड़ी खनकेगी
हर खलिहान के माथे पर बिंदी चमकेगी
ये बता दो पत्थर की इमारतों को
सब्ज जमीन पर जिंदगी पनपेगी
गैर तो जैसे भी हैं गैर हैं
मुझे तो मेरे घर ने पराया कर दिया
जब जब #भारत मां के आंचल को फाड़ा जाएगा
तब तब हाथ में लेकर भाला कोई #राणा आएगा
तनहाई खामोशी शराब गम मदहोशी
ये सारा इंतजाम बस आज की रात का है
नाम,दौलत,शोहरत सब तमाम मिल गया
जो अंगूर के लायक नही था आम मिल गया
इसी के लिए कर रहा है वो झूठ का कारोबार
ईनाम का लालची था और ईनाम मिल गया
अब उसकी मोहब्बत पहले सी नही लगती
कुछ तो मिलावट है इन शोख अदाओं में
न जाने क्या सुन लिया धड़कनों में उसने
शर्म से वो पानी पानी हो गया
जब करीब था उसके तो बेमजा था सबकुछ
आज जितना मजा उसके दूर जाने से मिला
कितना बदल गई है वो जो थी मेरी दुनियां
हम्हीं हैं जो पुरानी बात लिए बैठे हैं
एक मोहब्बत करके नाकाम हुए तो करो ये विचार
दिल तो है एक तुम्हारा लेकिन इसमें कोने चार
ख्वाबों का घरौंदा सजाए रखा है
दर्द को मुस्कान से दबाए रखा है
रोज खुद की तारीफ़ करता हूं उनकी तरह से
मैने मोहब्बत का भरम बनाए रखा है
तुम्हें जंगे मैदान में आना ही पड़ेगा
अपना जलता हुआ घर बचाना ही पड़ेगा
तुमको दिखा रहा है क़ूवत वो अपनी
तुम्हें भी अपना पौरुष दिखाना ही पड़ेगा
तलाश में रहो नए हां की
पुराने ना से परेशान क्या होना
सुना है हाकिम के कदमों में रहता है
वही जिसने बताई थी मुझे औकात मेरी
लगेगी धूप तो बहुत पछताएगा वो
जिस सिरफिरे को पेड़ काटने में मजा आता है
जमाने ने बताया था हवा मुफ्त की है
आज मैने लोगों को सांसें खरीदते देखा
पानी से दिल की आग बुझाई नही जाती
धोने से रिश्तों की रंगाई नही नही
तू तो उमर भर का ख्वाब है मेरा
और ख्वाब की किमत लगाई नही जाती
ये शायरी कहनेवाला , गाली कह रहा है
देखो तो ये किसको , जाली कह रहा है
इसकी आदत है सूरज पर उंगली उठाने की
साबित नही कर पाएगा , खाली कह रहा है
मैने तमाम शेर कहे है दिल के हवाले से
आओ ये अपनी किताब ले जाओ
दिल लगा रहे हो बरसात के मौसम में
फिर इश्क़ में भीगने की तैयारी रखो
झूठ ना बोलें तो क्या करें तनहा
उनका प्यार भी तो खोया नही जाता
एक बीमारी सारे चमन को होगई
और किसी का कोई खुदा न हुआ
तनहा होना बड़ा सुकून देता है दिल को
ये बात अपने तजुरबे से बता रहा हूं मैं
जमीन सुनती रही तान बूंदों की
बादल रात भर गाता रहा
सूखा तालाब बता रहा है समंदर को
लबालब पानी कैसे बहता है
तेरे आंख में आशु हैं तो बस फिलिस्तीन के लिए
जो जिहाद लड़ रहें हैं बस एक जमीन के लिए
अगर है तू सच्चा इमान-ए-दीन वाला तो दर्द बराबर रख
बलोचों , यमनों और उइ्गर मुस्लिमिन के लिए
होते तो हैं तमाम फूल दुनियां में
मगर गुलाब जैसा दुसरा नही होता
वो भी इंसान है जो सरकार में है कोई जादूगर नही
तेरी लाशों की सियासत सब को समझ में नही आएगी
जब तिरगी ही तिरगी हो घर में भी और जहन में भी
तो मशाल जला ले चिराग जलाने से रोशनी नही आएगी
महसूस करना चाहता हूं मैं तुझको टचस्क्रीन की तरह
साथ चाहता हूं मै तेरा इस जमीन की तरह
मेरी बीमारी है तो बस एक तेरा प्यार है
तेरा प्यार चाहिए मुझे किसी वैक्सीन की तरह
एक चांद मेरे कमरे में भी है
यही सोचकर सब भर चिराग नही जलाया मैने
मुझे ये उजाला राश नही आता
वो मेरे करीब पर पास नही आता
मुझे बचाकर रखना है ये चिराग
के मेरी कोठरी में चांद नही आता
मकान मेरा बहुत जर्जर है दोस्तों
जाने ये फूलों की बरसात सह पाए या ना
मै न जाने आदमी हूं के मशीन
रोज मुझमें नए किरदार निकल आते हैं
इसमें घाटा जमाने का नही है
ये वक्त उन्हें चढाने का नही है
उसका घर तोड़ रहा है वो अपना घर बनाने के लिए
सरकार से जंग में है वो सरकार में आने के लिए
बादलों का कोई सहारा नही होता
बीना तारों के उजाला नही होता
हमे आजमाने की गलती ना करना
सागर का कोई किनारा नही होता
मेरी यह शेरो शायरी आपको कैसी लगी मुझे अपने विचारों से अवगत अवश्य करवाए | अपना बहुत ख्याल रखिए, नमस्कार |
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