नमस्कार , जनवरी की सर्दी चल रही है ऐसे मे आपको गर्मी बड़ी याद आ रही होगी या गर्मी से ठीक पहले आने वाली एक ऐसी रितु है जो हर मन को भाती है जी हां मैं वही कह रहा हूं वसंत उसके मौसम की चाहत हो रही होगी तो उसी पर मेरी ये कविता पढ़े और इस पर अपने ख्याल हमसे साझा करें
वसंत तो वसंत है वसंत ही रहेगा
ये सर्द कोई रात नही
ठिठुरने की कोई बात नहीं
पाले का भय नही
कल नही आज नही
अब शीत इस पर भला क्या कहेगा
वसंत तो वसंत है वसंत ही रहेगा
न असमय रिमझिम फुहारों का भय
न भिगने से बिमारीयों का भय
न बाढ़ जैसे हालातों का भय
विचरण करना होकर निर्भय
अब तो बादल पुर्ण मौन रहेगा
वसंत तो वसंत है वसंत ही रहेगा
ग्रीष्म का कहर कौन न जाने
लू को भला कौन ना पहचाने
हाय रे गर्मी हर कोई माने
पर चिलचिलाती धूप न माने
ये बहता हुआ पसीना भी कहेगा
वसंत तो वसंत है वसंत ही रहेगा
मेरी ये कविता आपको कैसी लगी मुझे अपने विचार कमेन्ट करके जरूर बताइएगा | मै जल्द ही फिर आपके समक्ष वापस आउंगा तब तक साहित्यमठ पढ़ते रहिए अपना और अपनों का बहुत ख्याल रखिए , नमस्कार |
आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" सोमवार 10 जनवरी 2022 को साझा की गयी है....
जवाब देंहटाएंपाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
मेरी रचना को सम्मानित पटल पर स्थान देने के लिए आपका बहुत बहुत आभार
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बसंत की उपमा बताती सुंदर रचना 👌💐
जवाब देंहटाएंआपका बहुत आभार
हटाएंप्राकृतिक सुंदरता को बयां करता हुआ बहुत ही खूबसूरत सृजन
जवाब देंहटाएंइतने सुन्दर विचार के लिए आपका बहुत धन्यवाद
हटाएंबसंत की महिमा गुनगुनाती हुई लाजबाव सृजन
जवाब देंहटाएंआपका बहुत आभार
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