नमस्कार , विश्व भर के समस्त हिन्दी प्रेमीयों को 10 जनवरी यानी विश्व हिन्दी दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ | हिन्दी दिवस के इस अवसर पर हिन्दी को समर्पित मेरी एक कविता देखिए
संस्कृतनिष्ठ है हिन्दी
अंकल-आंट ही बस नही
चाचा-चाची , मामा-मामी है
फूफा-फूफी , मौसा-मौसी है
ग्रैंडमोम-ग्रैंडडैड बस नही
दादा-दादी , नाना-नानी है
मोम-डैड नही माता-पिता है
रिश्तों में और भी घनिष्ठ है हिन्दी
संस्कृतनिष्ठ है हिन्दी
बेलकम नही स्वागतम् है
ये थैंक्यू नही आभार है
मैम-सर नही महोदया-महोदय है
मिस्टर-मिसेस नही श्रीमान-श्रीमती है
ये लकी नही भाग्यवती है
रिश्पेक्टेड नही आदरणीय है
और भी बहुत शिष्ट है हिन्दी
संस्कृतनिष्ठ है हिन्दी
ये पानी नही है जल है
ये धोखा नही है छल है
ये दिल नही है ह्रदय है
ये प्यार नही है प्रेम है
ये हमला नही है आक्रमण है
ये सैर नही है भ्रमण है
शब्दों में और भी विशिष्ट है हिन्दी
संस्कृतनिष्ठ है हिन्दी
मेरी ये कविता आपको कैसी लगी मुझे अपने विचार कमेन्ट करके जरूर बताइएगा | मै जल्द ही फिर आपके समक्ष वापस आउंगा तब तक साहित्यमठ पढ़ते रहिए अपना और अपनों का बहुत ख्याल रखिए , नमस्कार |
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