गुरुवार, 11 मई 2017

वन बचाओ , जल बचाओ जल बचाकर जीवन बचाओ

       हम इंसानों का वर्चस्व  इस धरती पर विद्यमान किसी भी जीव से ज्यादा है क्योंकि  हम इंसानों के पास बुद्धि एवं बल बाकी सभी जीव से सर्वाधिक है और केवल बुद्धि नहीं पृथ्वी पर हम इंसानों की जनसंख्या भी दूसरे किसी भी जीव से लगभग अधिक है | और अब जिस तरह से इंसान अपने स्वार्थ के लिए वृक्षों की कटाई कर रहा है , वनों का सफाया कर रहा है इसके दुष्परिणाम प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष रूप से हमारे सामने उपस्थित हैं|पृथ्वी  के पीने योग्य जल के स्तर में कमी आना , मौसम का अनिश्चित परिवर्तित होना और पृथ्वी के तापमान का बढ़ना वृक्षों की कटाई  से उत्पन्न होने वाले दुष्परिणाम है 

 वन बचाओ , जल बचाओ  जल बचाकर जीवन बचाओ

       अगर इतने दुष्परिणामों के सामने आने के बावजूद भी मानव ने वृक्षों का संरक्षण नहीं किया तो इसका खामियाजा पूरी पृथ्वी को भुगतना पड़ेगा | अपनी धरती को बचाने का दायित्व हम सभी पर है और हमें अधिक से अधिक वृक्ष लगाकर और वृक्षों को काटने से बचाकर इस दायित्व को निभाना चाहिए |हम सभी को यह आदत बना लेना चाहिए कि हर पर्व पर एक पेड़ लगाएं |
 वन बचाओ

    वृक्षों का संरक्षण बहुत आवश्यक है और इनके संरक्षण का मकसद बहुत विशाल हैपेड़ों के बचाव का उद्देश्य लिएα मैंने एक कविता लिखने का प्रयास किया है

 वन बचाओ , जल बचाओ
 जल बचाकर जीवन बचाओ


 
मत काटो हरे-भरे वृक्षों को
 
इन्हे लहराता रहने दो
 
यह शुद्ध हवा और फल देते हैं
 
धरती पर वर्षा कराकर
 
यही वृक्ष तुम्हें जल देते हैं
 
परोपकार तुम इनसे सीखो
 
त्याग की  यह मूर्ति हैं
 
मिट जाएगी तुम्हारी दुनिया
 
अगर तुम इनका अस्तित्व मिटाओ

 वन बचाओ , जल बचाओ
 जल बचाकर जीवन बचाओ

 वन बचाओ

 इन्ही के दिए फल तुम खाते
 
इन्हीं से मिली लकड़ियों से तुम
 
घर बनाते खाना पकाते
 
फिर इन्हीं पेड़ों को काट डालते
 
तुमने कभी यह सोचा है
 
पेड़ नहीं होंगे तो जल की वर्षा कहां से होगी
 
वर्षा नहीं होगी तो नदियों में जल कहां से होगा
 
जल नहीं होगा तो जीवन कैसे संभव होगा
 
इसीलिए तो कहता हूं
 
वृक्ष बचाओ कल बचाओ

 
वन बचाओ , जल बचाओ
 जल बचाकर जीवन बचाओ
 वन बचाओ , जल बचाओ
           
 सावन की हरियाली
 
मन को कितना भाती है
 
पेड़ों पर पंछियों का कलरव
 
शीतल हवा मन को मोह ले जाती है
 
इस हरियाली के खातिर
 
अब एक कदम हम बढ़ाएं
 
ना पेड़ों को काटे कभी
 
अगर कोई काटे तो आवाज़ उठाएं
 
हर पर्व पर एक पेड़ लगाएं
 
पौधों से आंगन सजाओ

 वन बचाओ , जल बचाओ
 जल बचाकर जीवन बचाओ

    
मेरी यह कविता आपको कैसी लगी मुझे अपने कमेंट्स के जरिए जरूर बताइएगा | अगर अपने  विचार को बयां  करते वक्त मुझसे शब्दों में कोई गलती हो गई हो तो उसके लिए माफी चाहूंगा | मैं जल्द ही वापस आऊंगा एक नए विचार के साथ | तब तक अपना ख्याल रखें, अपनों का ख्याल रखें ,नमस्कार |

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