मां , यह सिर्फ एक शब्द नहीं पूरी एक दुनिया है जिसमें सृजनकर्ता भी मां है और अपने बच्चों के लिए पालनहार भी मां है , इस दुनिया में मां सिर्फ
अपने बच्चे का
भाग्य नहीं लिख सकती अगर लिख सकती तो अपने बच्चे के भाग्य में सारी दुनिया की खुशियां लिख देती | मां की गरिमा और महानता का बखान जितना किया जाए मुझे लगता है कम है |
मां बच्चे
को 9 महीने अपनी कोख में रखती है अपना पोषण अपने बच्चे को देती है , हजारों तकलीफ सहकर उसे इस दुनिया में लाती है | जब एक बच्चा इस दुनिया में पैदा होता है तो बच्चे के साथ-साथ एक मां भी पैदा होती है | एक दुधमुंहा बेजुबान बच्चा जो क्या चाहत है किसी और को समझ में नहीं आता, वह
क्या कहता है
किसी को समझ में नहीं आता , लेकिन मां समझ जाती है | भगवान ने मां को ही ममता की एक ऐसी शक्ति दी है जो उसे अपने बच्चे के लिए कुछ भी कर गुजरने का हौसला देती है |
मैं जानता
हूं मां के प्यार को , मां की ममता को , उसके त्याग को , बलिदानों को चंद शब्दों पन्नों में बांध पाना कठिन है लेकिन फिर भी अपनी मां के लिए और दुनिया की सभी माताओं को समर्पित करते हुए मैंने एक छोटी सी कविता लिखने की कोशिश की है -
मां है ना
नए जीवन की सृजनकर्त
ईश्वर का दूसरा रुप है मां
ममता का सागर है मां
एक बच्चे के लिए सबसे बड़ी दुआ है ना
मां है ना
मां है ना
नए जीवन की सृजनकर्त
ईश्वर का दूसरा रुप है मां
ममता का सागर है मां
एक बच्चे के लिए सबसे बड़ी दुआ है ना
मां है ना
बच्चे के संग मुस्काए
बच्चे के संग तूतलाए
जब बच्चा रोए मां भी रोने लग जाए
अगर कभी कहीं एक खरोच भी बच्चों को लगी
घबराहट के मारे मां का मन विचलित हो जाए
बच्चे संग खेलते - खेलते
मां भी खुद बच्ची बन जाए
ईश्वर की बच्चों को सबसे बड़ी कृपा है ना
मां है ना
बच्चे के संग तूतलाए
जब बच्चा रोए मां भी रोने लग जाए
अगर कभी कहीं एक खरोच भी बच्चों को लगी
घबराहट के मारे मां का मन विचलित हो जाए
बच्चे संग खेलते - खेलते
मां भी खुद बच्ची बन जाए
ईश्वर की बच्चों को सबसे बड़ी कृपा है ना
मां है ना
अपनी खुशियां बच्चों की खुशियों में देखें
भले रहे खुद भूखी मगर बच्चों का वह पेट भरे
अगर जरूरत हो तो लड़े सारी दुनिया से
अपने बच्चों के खातिर
बच्चों के हर दुखों के आगे
वह दीवार बनकर खड़ी रहे
ममता , त्याग , बलिदान कि वह देवी है ना
भले रहे खुद भूखी मगर बच्चों का वह पेट भरे
अगर जरूरत हो तो लड़े सारी दुनिया से
अपने बच्चों के खातिर
बच्चों के हर दुखों के आगे
वह दीवार बनकर खड़ी रहे
ममता , त्याग , बलिदान कि वह देवी है ना
मां है ना
छोटा बच्चा जब रोता है वह रोते हुए मां कहता है
इंसान जब चोटिल होता है तो वह
दर्द में कराह कर मां कहता है
लेकिन जब हंसता है तो मां को क्यों भूल जाता है
जवान होकर मां के कोमल मन को क्यों रुलाता है
हम बच्चे भी यह याद रखें
दुनिया का सारा सुख मां के प्यार और उनके
छोटा बच्चा जब रोता है वह रोते हुए मां कहता है
इंसान जब चोटिल होता है तो वह
दर्द में कराह कर मां कहता है
लेकिन जब हंसता है तो मां को क्यों भूल जाता है
जवान होकर मां के कोमल मन को क्यों रुलाता है
हम बच्चे भी यह याद रखें
दुनिया का सारा सुख मां के प्यार और उनके
पावन
कदमों में ही है ना
मां है ना
मेरी यह कविता आपको कैसी लगी मुझे अपने कमेंट्स के जरिए जरूर बताइएगा | अगर अपने विचार को बयां करते वक्त मुझसे शब्दों में कोई गलती हो गई हो तो उसके लिए माफी चाहूंगा | मैं जल्द ही वापस आऊंगा एक नए विचार के साथ | तब तक अपना ख्याल रखें, अपनों का ख्याल रखें ,नमस्कार |i
मां है ना
मेरी यह कविता आपको कैसी लगी मुझे अपने कमेंट्स के जरिए जरूर बताइएगा | अगर अपने विचार को बयां करते वक्त मुझसे शब्दों में कोई गलती हो गई हो तो उसके लिए माफी चाहूंगा | मैं जल्द ही वापस आऊंगा एक नए विचार के साथ | तब तक अपना ख्याल रखें, अपनों का ख्याल रखें ,नमस्कार |i
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