गुरुवार, 9 सितंबर 2021

ग़ज़ल , उस खुबसुरत चेहरे की कलाकारी देखो

      नमस्कार , लगभग एक से दो हफ्ता पहले मैने ये ग़ज़ल लिखी थी जिसे मैं आज आपके साथ साझा कर रहा हूं ग़ज़ल कैसी रही मुझे जरूर बताइएगा 

उस खुबसुरत चेहरे की कलाकारी देखो

फिर दिल के भीतर की मक्कारी देखो 


गर नमूना देखना हो तुम्हें ईमानदारी का 

तो जा के कोई दफ्तर सरकारी देखो 


आज इंसानों ने बहुत तरक्की कर ली है 

मगर जानवरों की वफादारी देखो 


दवा बनाने से पहले कब्रिस्तान बनाए गए 

महामारी में सरकारों की तैयारी देखो 


एक बार में पुरा हासिल नही होगा तनहा 

मुझे देखना हो यार तो बारी-बारी देखो 

      मेरी ये ग़ज़ल आपको कैसी लगी मुझे अपने विचार कमेन्ट करके जरूर बताइएगा | मै जल्द ही फिर आपके समक्ष वापस आउंगा तब तक साहित्यमठ पढ़ते रहिए अपना और अपनों का बहुत ख्याल रखिए , नमस्कार |


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