गुरुवार, 9 सितंबर 2021

कविता , पंजाब की तो बात ही निराली है

      नमस्कार , लगभग महीने भर पहले मैने ये कविता लिखी थी जिसे मैं किसी व्यस्तत्ता के कारण आपसे साझा नही कर पाया था आज कर रहा हूं मुझे यकीन है कि आपको यह कविता पसंद आएगी 

पंजाब की तो बात ही निराली है 


पांच नदिया बहती है जिसमें 

वो पावन भूमि जैसे एक थाली है 

पंजाब की तो बात ही निराली है 


अमृतसर का अमृत सर है 

गुरुग्रंथ का यह पावन घर है 

गुरुवाणी का प्रभाव सब पर है 

भाषा तो मानो शहद की प्याली है 

पंजाब की तो बात ही निराली है 


भांगडा़ , गिद्दा सब की शान हैं 

दसों गुरुओं पर जन-जन को अभिमान है 

किसानों की आन खेत खलिहान हैं 

लोहड़ी , होली , दशहरा और दिवाली है 

पंजाब की तो बात ही निराली है 

       मेरी ये कविता आपको कैसी लगी मुझे अपने विचार कमेन्ट करके जरूर बताइएगा | मै जल्द ही फिर आपके समक्ष वापस आउंगा तब तक साहित्यमठ पढ़ते रहिए अपना और अपनों का बहुत ख्याल रखिए , नमस्कार |


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